छोटा सा दाना
छोटा सा मैं दाना
अदभुत् छिपा खजाना
मिट्टी में तुम मुझे दबाना
पानी मुझको जरा पिलाना,
दो छोटी छोटी कोपल
मिट्टी से निकलेंगी कोमल,
धीरे धीरे पौधा बनकर
बनूॅं पेड़ मैं जल्दी बढ़कर
ठंडी ठंडी हवा चलेगी
म्ेारी डाली खूब हिलेगी
प्ंाखा तुम पर खूब झलेगी
त्ुामको गर्मी नहीं लगेगी,
खाने को मीठे फल देता
बिना धरौंदे पंछी सोता
तुम से कभी न कुछ भी लेता
बस सबको देता ही देता ।
बरषा का जल रखूं बचाकर,
खतम करो मत मुझे काटकर ,
काट काट कर मुझे जलाकर
नहीं बढ़ाते मुझे लगाकर
हम धरती को हरी बनाते,
समझ नहीं क्यों इतना पाते
धरती को क्यों नहीं बचाते
अपने को हो आप मिटाते।
छोटा सा मैं दाना
अदभुत् छिपा खजाना
मिट्टी में तुम मुझे दबाना
पानी मुझको जरा पिलाना,
दो छोटी छोटी कोपल
मिट्टी से निकलेंगी कोमल,
धीरे धीरे पौधा बनकर
बनूॅं पेड़ मैं जल्दी बढ़कर
ठंडी ठंडी हवा चलेगी
म्ेारी डाली खूब हिलेगी
प्ंाखा तुम पर खूब झलेगी
त्ुामको गर्मी नहीं लगेगी,
खाने को मीठे फल देता
बिना धरौंदे पंछी सोता
तुम से कभी न कुछ भी लेता
बस सबको देता ही देता ।
बरषा का जल रखूं बचाकर,
खतम करो मत मुझे काटकर ,
काट काट कर मुझे जलाकर
नहीं बढ़ाते मुझे लगाकर
हम धरती को हरी बनाते,
समझ नहीं क्यों इतना पाते
धरती को क्यों नहीं बचाते
अपने को हो आप मिटाते।