Wednesday 15 May 2024

Anekon chand

 अनेकों चाँद


लेखक एलिजाबेथ एबट अनुवाद डा॰श्शशि गोयल


समुद्र के किनारे एक देश था। राजा की पुत्री का नाम लेनोरा था वह ग्यारह वर्ष की थी । एक बार लेनोरा बीमार पड़ गयी। राजा ने  डाक्टर बुलाया। डाक्टर ने सब कुछ देखा भाला। लेकिन राज कुमारी की बीमारी का कुछ पता न लग सका। राज चिकित्सक परेशान हो उठा।

‘जो तुम्हारे दिल में इच्छा हो बताओ ,’राजा ने पूछा ,‘मैं पूरा करने की कोशिश करूँंगा।’ राजकुमारी ने कहा,‘ मुझे चंद्रमा चाहिये अगर मुझे चंद्रमा मिल जायेगा तो मैं ठीक हो जाऊँगी।’

राजा के दरबार में कुछ बुद्धिमान व्यक्ति थे जिनकी सहायता से वह अपनी इच्छित वस्तुऐं मंगाया करता था। इसलिये उसने दरबार में पहुंचकर आगे प्रधान मंत्री को बुलाया । प्रधान मंत्री लम्बा और मोटा व्यक्ति था। चश्मा पहनकर वह और भी बुद्धिमान नजर आने लगता था।

‘मैं चाहता हूँ कि तुम चंद्रमा ले आओ ,’ राजा ने कहा,‘ राजकुमारी लिनोरा को चंद्रमा चाहिये। अगर चंद्रमा मिल गया तो वह ठीक हो जायेगी।’

‘चंद्रमा!’ प्रधान मन्त्री चौंक पड़ा,‘ चंद्रमा ?’ 

‘हां हां चंद्रमा इसे शाम कल सुबह या ज्यादा से ज्यादा कल रात तक ले आओ’

प्रधान ने अपने माथे से पसीना और जोर की टी को आवाज करते रूमाल से नाक पोंछी,‘ मेरे पास आपके लिये सेकड़ों चीजे हैं मेरे पास अब भी उनकी सूची है’ यह कहकर उसने एक लम्बी सूची पत्र निकाला ,‘देखिये मेरे पास हाथी दांत ,मोर ,हीरा ,माणिक, मुक्ता, लाल, काला बाग, गुलाबी हाथी ,जल परी नीला कुत्ता स्वर्ण मक्खी, लाल मुनिया की जीभें, देवदूत के पंख, राक्षस, बौने, एक पोंड मक्खन दो दर्जन अंडे एक बोरा शक्कर ओह ! ये मेरी पत्नी ने लिख दिया है।’

‘ मेरे ख्याल से नीले कुत्ते के विषय में तुमने पहले कभी नहीं कहा’ राजा ने कहा

‘नहीं यह तो सूची में है और यह तो हैं अपने यहां मैंने निशान लगाया हुआ है’ प्रधान मंत्री ने कहा 

‘खैर छोड़ो ,इस समय मुझे चंद्रमा चाहिये और कुछ नहीं

मैं समरकंद, अरेबिया, जंजीबार ऐसी जगहें तो सामान लाने भेज सकता हूं महाराज ,’ प्रधान मंत्री ने कहा ,लेकिन चंद्रमा का तो प्रश्न ही नहीं उठता। यह 35000 मील दूर है और राजकुमारी के कमरे से बड़ा है। मैं आपके लिये चंद्रमा नहीं ला सकता ,ना ना चंद्रमा नहीं।’

राजा गुस्से से भड़क उठा और प्रधानमंत्री को दरबार छोड़ कर शाही जादूगर को भेजने के लिये कहा ।

  ‘महाराज में आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ ?’जादूगर ने अदब से कहा।

शाही जादूगर पतला और लम्बे मुँह वाला व्यक्ति था। सिर पर लाल लम्बी नुकीली टोपी पहने था उस पर चांदी के सितारे झिलमिला रहे थे। उसकी नीली लम्बी पोशाक मे सोने के तारो से उल्लू कढ़े हुए थे। राजा की इच्छित वस्तु को सुनकर जादूगर का चेहरा पीला पड़ गया।

‘आपके लिये मैंने जादू के अनेको कार्य किये हैं ,’जादूगर बोला ,‘मेरे पास लम्बी सूची है जिसमें लिखा है कि मैंने क्या क्या काम किये हैं ।’यह कहकर उसने एक लम्बी सूची निकाली और पढ़नी शुरू की ‘प्यारे जादूगर मैं तुम्हें तुम्हारे दार्शनिक पत्थर वापस लौटा रहा हूँ ’  ‘यह नहीं है ’यह कहकर दूसरी जेब से एक लम्बा कागज निकाल और पढ़ना शुरू किया ,‘हां यह है देखिये मैंने चुकन्दर से खून और खून से चुकन्दर बनाया ,सिल्क के हैट में से खरगोश निकाले ,हवा में से फूल बत्तख, तम्बूरा,, पैदा किये, मैं आपके लिये दैवीय छड़ी, जादुई पटटी ,क्रिस्टल का गोला भविष्य देखने के लिये लाया। आपके लिये भेड़िये मगरमच्छ और ईगल के आंसू ,बुरी बलाओं से दूर रखने के लिये लाया।  आपको जादुई जूते दिये अदृश्य करने वाला कोट’ 

‘क्या कहा ? अदृश्य करने वाला कोट काम नहीं करता, अदृश्य करने वाला कोट बेकार है ’

‘नहीं हुजूर बिलकुल ठीक है।’

‘नहीं उसे पहनकर भी मैं चीजों से टकराता था।’

‘टकरायंेगे तो हुजूर लेकिन अदृश्य रहेंगे ,’जादूगर ने कहा।

‘मैं बस इतना जानता हूँ कि चीजों से खूब टकराता हूँ।

जादूगर ने फिर अपनी सूची की ओर देखा एलफैंड से सींग, इन्द्रधनुष से सोना ,सुइयों का कागज 

‘ मैं नही जानता मुझे तो इस समय चंद्रमा चाहिये । राजकुमारी लेनोरा को चंद्रमा चाहिये उसे चंद्रमा मिल जायेगा तो वह ठीक हो जायेगी ।’ राजा ने कहा 

‘चंद्रमा तो कोई नही ला सकता,’ जादूगर ने निराशा से कहा ,‘यह तो 150000 मील दूर है, यह तो हरे पनीर से बना है इस महल से दुगना बड़ा है।’

राजा गुस्से से भर गया और जादूगर को जेल भेज दिया फिर शाही गणितरा को बुलाया।

शाही गणितज्ञ काले सिर वाला,कम दिखाई देने वाला था । खोपड़ी की टोपी लगाये था, कानों में एक एक पंेसिल घुसी हुई थी। वह काले कपड़े पहने था उस पर सफेद नम्बर लिखे थे।

‘मुझे अपनी वह लम्बी, सूची मत सुनाना, जिसमें तुमने सब भाषाऐं लिख रखी हैं ’। राजा ने कहा ‘इसी समय गणना करके बताओ कि चन्द्रमा कैसे मिल सकता है ? चन्द्रमा मिलते ही राजकुमारी ठीक हो जायेगी।’

‘हुजूर मैं आपका शुक्रगुजार हूँ जो आपके लिये कार्य करता आ रहा हूँ। सौभाग्यवश मेरे पास उन कामों की सूची है।मैंने रात और दिन के बीच की दूरी, समुद्री सांप की लम्बाई ,हिप्पोमाटामियां की चौड़ाई समुद्री नमक से कितनी चिड़ियां पकड़ सकते हैं।

‘यह सब में नहीं सुनना चाहता ,मुझे इस समय चंद्रमा चाहिये ,’राजा ने कहा 

‘चद्रमा तो 300000 मील दूर है,’ शाही गणितश बोला ,‘यह गोल और चपटा सिक्के की तरह है और यह अबराव का बना है और इस राज्य के आधे माग के बराबर है। सबसे बड़ा यह आकाश से चिपका हुआ है। चंद्रमा तो कोई नहीं ला सकता।’

गुस्से से भरे राजा ने शाही जोकर को बुलाया। जोकर गधे के कानो वाली टोपी लगाये कमर की घटिंयो को बजाता आया और सिहासन के पास बैठ गया।

‘मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ हुजूर,’ जोकर ने पूछा।

‘मेरे लिये कोई कुछ नहीं कर सकता ,’राजा ने उदासी से सिर हिलाते हुए कहा ,‘राजकुमारी लेनोरा को चंद्रमा चाहिये जब तक उसे चंद्रमा नहीं मिल जायेगा वह अच्छी नहीं होगी लेकिन चंद्रमा को कोई नहीं ला सकता। जब भी किसी से मैंने उसके लाने की बात कही वह पहले से दूर और बड़ा होता चला गया। तुम कुछ नहीं कर सकते बस मेरे लिये अपने गिटार पर कोई दुःख भरी धुन बजाओ।

वे लोग चंद्रमा कितना बड़ा ओर कितनी दूर बताते है ’ दरबारी जोकर ने पूछा।

प्रधानमंत्री कहते हैं कि यह 35000 मील दूर है और लेनोरा के कमरे से दुगना बड़ा है ,शाही जादूगर कहता है वह 150000 मील दूर है और महल से दुगना बड़ा है। गणितज्ञ कहता है वह 30000 मील दूर है और आधे राज्य के बराबर है।

मसखरा कुछ देर गिटार के तारों को छेड़ता रहा फिर बोला ,‘वे सब लोग बुद्धिमान हैं जैसा वे कहते हें चंद्रमा जरूर उतनी दूर और बड़ा होगा ,लेकिन इस समय प्रश्न यह है कि राजकुमारी लेनोरा उसे कितना बड़ा समझती है?’

‘ मैंने यह कभी नहीं पूछा’, राजा  ने कहा ,‘ठीक है अन्नदाता मैं जाता हूंँ और पता लगाता हूँ।’ वह बोला अरे धीरे से राज कुमारी के कमरे में पहूँचा। 

राजकुमारी लेनोरा जाग रही थी और मसखरे को देखकर खुश हो गई । लेकिन उसकी आवाज वहुत कमजोर थी । चेहरा पीलैा पड़ गया था।

‘क्या तुम मेरे लिये चंद्रमा लाये हो ?’राजकुमारी ने कहा।

‘अभी तो नहीं ?’मसखरे ने कहा ,‘लेकिन मैं अभी लाता हूँ ये एक बात यह बताओ तुम्हारी समझ से चंद्रमा कितना बड़ा है।’

‘चंद्रमा वह तो मेरे अंगूठे के नाखून से भी छोटा है ,’राजकुमारी बोली ,‘क्योंकि जब मैं अपना अंगूठा उसकी ओर करती हूँ तो वह उसके पीछे छिप जाता है ’

और वह है कितनी दूर ?’ मसखरे ने पूछा...

‘वो सामने वाले पेड़ के बाराबर ही तो ऊँचा है ,’राज कुमारी खिड़की से झांकती बोली,‘ कभी कभी तो वह उसकी टहनियों में भी उलझ जाता है।’

‘अरे! तुम्हारे लिये चंद्रमा लाना तो वहुत आसान है ’।मसखरा बोला,‘ आज रात में पेड़ पर चढ़कर चंद्रमा ले आऊँगा।’

फिर उसने कुछ सोचा और बोला ,‘नन्हीं बिटिया एक बात और बताओ ये चन्द्रमा बना किसका है?’

‘धत् तेरे की तुम तो पागल हो,’ राज कुमारी बोली,‘ चंद्रमा तो सोने का बना है’

मसखरा राजकुमारी के कमरे से निकल सीधा सुनार की दुकान पर पहुँचा और उससे अंगूठे के नाखून से जरा छोटा गोल सोने का चंद्रमा बनवा लिया और उसे सोने की जंजीर में डलवा लिया।

‘यह क्या बनवाया है तुमने ?’सुनार ने पूछा।

‘चंद्रमा बनवाया है तुमसे,’ मसखरे ने कहा

‘ल्ेकिन चंद्रमा तो,’ सुनार बोला,‘ 300000 मील दूर है और तांबे का बना गोला है’’

‘यह तो तुम सोचते हो ,’मसखरे ने कहा, और चंद्रमा लेकर राजकुमारी के पास आया। और राज कुमारी चंद्रमा पाकर बहुत खुश हुई उस दिन वह बगीचे में खेलने लगी भागने लगी।

ल्ेकिन राजा की चिंता अभी मिटी नहीं थी। क्योंकि वह जानता था कि रात में चंद्रमा फिर आकाश में चमकेगा और राज कुमारी देखकर समझ पायेगी कि गले में पहना चंद्रमा असली नहीं है।

राजा ने प्रधानमंत्री को बुलाया और कहा ,‘हम चाहते है राजकुमारी लेनोरा चंद्रमा को आकाश में चमकता न देख पाये कुछ उपाय सोचो।

प्रधानमंत्री ने माथे पर उंगलियों से टकटक किया और बोला ,‘राज कुमारी के लिये काले शीशे का चश्मा बनवा दिया जाय उसके शीशे इतने काले हों कि उनसे कुछ दिखाई न दे , इस प्रकार वह चंद्रमा नहीं देख पायेगी’

यह प्रस्ताव सुन राजा वहुत गुस्सा हुआ,‘ काले शीशे पहन कर उसे कुछ नहीं दिखाई देगा और वह चीजों से टकरायेगी और फिर बीमार पड़ जायेगी।’

अब राजा ने शाही जादूगर को बुलवाया।

‘तुम चंद्रमा को छिपा देा ,’राजा ने कहा,‘ जिससे राज कुमारी लेनोर चंद्रमा को न देख पाये।’

जादूगर हाथंों पर खड़ा हुआ फिर सिर के बल खड़ा हुआ, फिर सीधा खड़ा हुआ ,हम महल के चारों ओर खंभे गड़वाकर काले मखमल का चंदोवा तनवा दें  जिससे महल ढक जायेगा और आकाश में चन्द्रमा दिखाई न देगा ’ यह सुनकर भी राजा गुस्सा हो गया।

‘मखमल से महल ढक जाने से हवा कैसे आयेगी? राजकुमारी सांस नहीं ले पायेगी और वह फिर से बीमार हो जायेगी।’

राजा ने शाही जादूगर को बापस भेज गणितश को बुलाया।

‘हमें कुछ ऐसा करना है जिसमें राज कुमारी लेनोरा  रात में चमकता चॉंद न देख पाये ,कुछ इस प्रकार की गणना करो ’

ग्णितज्ञ गोले में घूमा चौकोर घूमा फिर खड़ा हो गया ,फिर बोला ,‘हल मिल गया हम रात में प्रतिदिन आतिशबाजी करेंगे। रूपहले सुनहले फुब्बारे अनार छुड़ायेंगे जिससे इतनी रोशनी होगी कि दिन का सा उजाला हो जायेगा और राज कुमारी चँद्रमा नहीं देख पायेगी।’

यह सुनकर राजा बहुत गुस्सा हुआ वह बोला ,‘आतिशबाजी में राज कुमारी लेनोरा सो नहीं पायेंगी और सो नही पायेगी तो फिर वह बीमार हो जायेगी।’

राजा ने बाहर झाका तो अंधेरा हो चला था। चंद्रमा की रोशनी हल्की हल्की झलकने लगी थी। राजा डर से उछला और मसखरे को बुलाया। मसखरा दौड़ा दौड़ा आया बोला।

‘मैं आपके लिया क्या कर सकता हूँ ? अन्नदाता ’  ‘कोई मेरे लिये कुछ नहीं सकता,’ राजा उदासी से बोला,‘ चंद्रमा ऊपर फिर आ रहा है, राजकुमारी के सोने के कमरे में भी चमकेगा और वह समझ जायेगी कि जो चंद्रमा वह गले में पहने है वह असली नहीं है । कुछ ऐसी धुन गिटार पर बजाओ जो बहुत अधिक दर्द भरी है। क्योंकि राजकुमारी चंद्रमा देखेगी और फिर बीमार हो जायेगी।’

मसखरे ने गिटार के तार छेड़ते हुए कहा ,‘आपके बुद्धिमान लोग क्या कहते हैं’

‘वे लोग कोई भी ऐसा उपाय नहीं सोच सके जिससे राज कुमारी बीमार न पड़े।’

मसखरे ने कोमल स्वरों में एक गीत बजाया और बोला,‘ आपके बुद्धिमान लोग सब कुछ जानते हैं अगर वे कहते हैं कि चंद्रमा को नहीं छिपाया जा सकता तो नहीं छिपाया जा सकता। ’

राजा ने अपना सिर अपने हाथों पर रखा और आह भरी फिर एकाएक सिंहासन से उछला और खिड़की की ओर इशारा करते हुए बोला,‘ देखो चंद्रमा आकाश में चमक रहा है अब कौन उसे समझाऐगा कि उसके गले भी लटक रहा चंद्रमा है तो फिर आकाश में कहां से चमक रहा है।’ मसखरे ने गिटार बजाना बंद कर दिया ,और बोला,‘ कौन बता सकता है कि चंद्रमा कैसे मिल सकता है? जबकि वह वहुत दूर है लेकिन राजकुमारी लेनोरा बता सकती हैं ं इसलिये राजकुमारी अधिक बुद्धिमान है मैं राजकुमारी से पूछूंगा  इससे पहले कि राजा रोक सके वो राजकुमारी के कमरे में खिसक गया।

राज कुमारी पलंग पर लेटी आकाश में चमकते चाँद को देख रही थी। हाथ में मसखरे के द्वारा दिया हुआ चंद्रमा था। वह वहुत उदास थी उसके आँखों में आंसू झिल मिला रहे थे।

राजकुमारी जी एक बात बताओ मसखरा बोला,‘ यह कैसे हो सकता है कि जब चंद्रमा तुम्हारे गले की जंजीर में पड़ा है फिर कैसे आकाश में चमक रहा है?’

राज कुमारी ने उसकी ओर देखा और हैसी,‘ तुम भी पागल हो यह तो वहुत सीधी सी बात है। जब मेरा एक दांत उखड़ जाता है तो उसकी जगह दूसरा आ जाता है कि नहीं।’

‘बिलकुल ऐसे ही ,’ राज कुमारी बोली ,‘जब माली फूल तोड़ लेता है तो उसकी जगह और दूसरा फूल आ जाता है कि नहीं’

‘अरे ! मुझे तो पहले ही समझा जाना चाहिये था,’मसखरा बोला,‘ ऐसे ही तो सूरज के साथ होता है।’

‘यही चंद्रमा के साथ होता है ,‘राजकुमारी बोली ं‘मेरे ख्याल में सबके साथ ऐसा होता है ’। 

मसखरे ने देखा राजकुारी की आवाज धीमी हो गई और वह सो गई। सोती राजकुमारी को मसखरे ने उढ़ाया और बाहर निकल आया।

  बहर निकलने से पहले मसखरे ने आँख झपकाकर चंद्रमा को देखा ,उसे लगा चंद्रमा उसे देख मुस्कराया और आंखे झपकाई है।


Tuesday 26 March 2024

Dedo pankh udhar

  देदो पंख उधार

तितली रानी तितली रानी

देदो पंख उधार

उड़ते उ़ड़ते जाउंगी मैं 

परियों के दरबार।

 मधुमक्खी ने दिये हैं मुझको 

घड़े मधु के चार,

कमलकली के फूलों का

बनवाया मैंने हार।

गुब्बारे में भर फूलों ने 

दी सुगंध की झार,

परियों की रानी को दॅूगी

मैं सारे उपहार ।

सपने में परियॉं जब आती

 करती हमसे प्यार ,

मन करता है जाकर देखॅूं

उनका भी संसार ।

तितली रानी तितली रानी 

देदो पंख उधार ,

वापस कर दॅंूगी आकर 

जाने दो इक बार ।

Sunday 24 March 2024

धरती की पूजा

 ☺धरती की पूजा



सुबह सुबह मैं नदी किनारे

खेतों में था गया टहलने

खेत किनारे सूरज भैया

अपने घर से लगे निकलने

बहुत दूर मेड़ों के पीछे

तुमको चुपके आते पाया

खूब सुनहरा रंग तुम्हारा

खेतों में सोना बरसाया

सुबह सुबह मेरी दादी जी

नदी किनारे पूजा करती

नदिया के पीछे से भी मैं

तुमको आते देखा करती

सिंदूरी रंग में रंगकर क्या

धरती का अर्चन करते हो।

लगता है दोनों हाथों से

तुम भी पूजा करते हो।