Sunday 27 August 2023

ye bekar log

 हिंदू अपने को उच्चस्थ सिंहासन पर बैठे देखना चाहता है। चाहना कोई बुरी बात नहीं है,मन में इच्छा होगी तभी तो हम आगे बढ़ेंगे लेकिन एक इच्छा जो बलवती है सारकारी नौकरी की ,कुर्सी की नौकरी का कारण है सरकार द्वारा दी जाने वाली अत्यधिक सुविधायें और कुछ ऐसे नियम जो अकर्मण्यता की ओर ले जाते हैं तभी तो सरकारी नौकरी के लिये जब कई कई लाख रिष्वत देने के लिये तैयार रहता है तो हैरानी होती है उतने रुपये में कोई अच्छा कारोबार कर सकते हैं परंतु मेहनत करनी पड़ेगीएक बार सरकारी नौकरी मिल जाये लाखों रुपये तो रिष्वत में ही कमा लिया जायेगा आम जनता का काम कोई ऐसे ही फोकट में कर दिया जायेगा ।

Tuesday 8 August 2023

kadam kadam jindgi

 कदम कदम जिंदगी

 जाने कब मैं बड़ी हो गई एहसास भी नहीं हुआ एक एक कदम बढ़ते जिंदगी के चंद कदम रह गये लेकिन मन है कि अभी जरा भी बड़ा हुआ। मस्तिष्क अवष्य बच्चा बने रहने से मना कर देता है बच्चों जैसी हरकत न हो जाये यह ध्यान रखना पड़ता है लेकिन दिल है कि बचपन से आगे बढ़ता ही नहीं वहीं अटक जाता है। नदी में फूल बहा दो किसी कोने पर अटक गया तो वह वहीं अटक जायेगा साथ ही धीरे धीरे और भी बहती चीजों केा अटका देता है । बचपन एक एक कदम पीछे छूट गया पता ही नहीं चला रा बड़ी जब हुई जब घेरदार फ्राक की लंबाई घुटनों तक आ गई फिर कुछ कदम तब बड़े हुए जब बारिष में नहाने से मां ने मना कर दिया और चंद दिन बीतते न बीतते मुझे मां ने सलवार सूट पहनाना प्ररम्भ कर दिया और अकेले स्कूल जाने से प्रतिबन्ध लग गया । खेल खिलौने बदल गये, फिर कदम और बढ़े जब रास्ते में कभी कभी नजरें चुभती सी लगने लगीं और अनायास ही हाथ दुप्पट्टा ठीक करने लगता बचपन का एहसास कुछ कुछ रुका सा हो गया। कहानियों में राजकुमार आने लगा और पढ़ते में कान की लौ लाल हो उठतीं ।

ससुराल में कदम रखते ही जिंदगी कितनी बदल गई लगता था कि वह बहुत बड़ी होगई। हर कदम अलग अलग एहसास होने लगे जिनमें बचपन कही भूला सा हो गया फिर मां दादी बनने की लंबी यात्रा,नये नये रास्ते बनते गये जिंदगी आखिरी मोड़ पर आ गई पर दिल है कि बच्चा हो गया है मानता ही नहीं हर समय उन्हीं पृष्ठों को टटोलता है बीच के पृष्ठ तो कभी कभी अटक जाते पर खुले पन्ने तो वे बचपन के रहते हैं ।



Sunday 6 August 2023

bachpan

 कदम कदम जिंदगी

 जाने कब मैं बड़ी हो गई एहसास भी नहीं हुआ एक एक कदम बढ़ते जिंदगी के चंद कदम रह गये लेकिन मन है कि अभी जरा भी बड़ा हुआ। मस्तिष्क अवष्य बच्चा बने रहने से मना कर देता है बच्चों जैसी हरकत न हो जाये यह ध्यान रखना पड़ता है लेकिन दिल है कि बचपन से आगे बढ़ता ही नहीं वहीं अटक जाता है। नदी में फूल बहा दो किसी कोने पर अटक गया तो वह वहीं अटक जायेगा साथ ही धीरे धीरे और भी बहती चीजों केा अटका देता है । बचपन एक एक कदम पीछे छूट गया पता ही नहीं चला रा बड़ी जब हुई जब घेरदार फ्राक की लंबाई घुटनों तक आ गई फिर कुछ कदम तब बड़े हुए जब बारिष में नहाने से मां ने मना कर दिया और चंद दिन बीतते न बीतते मुझे मां ने सलवार सूट पहनाना प्ररम्भ कर दिया और अकेले स्कूल जाने से प्रतिबन्ध लग गया । खेल खिलौने बदल गयेए फिर कदम और बढ़े जब रास्ते में कभी कभी नजरें चुभती सी लगने लगीं और अनायास ही हाथ दुप्पट्टा ठीक करने लगता बचपन का एहसास कुछ कुछ रुका सा हो गया। कहानियों में राजकुमार आने लगा और पढ़ते में कान की लौ लाल हो उठतीं ।

ससुराल में कदम रखते ही जिंदगी कितनी बदल गई लगता था कि वह बहुत बड़ी होगई। हर कदम अलग अलग एहसास होने लगे जिनमें बचपन कही भूला सा हो गया फिर मां दादी बनने की लंबी यात्राएनये नये रास्ते बनते गये जिंदगी आखिरी मोड़ पर आ गई पर दिल है कि बच्चा हो गया है मानता ही नहीं हर समय उन्हीं पृष्ठों को टटोलता है बीच के पृष्ठ तो कभी कभी अटक जाते पर खुले पन्ने तो वे बचपन के रहते हैं ।



ye kya ho gaya mere desh ko

 ऽ अगस्त क्रांति मथुरा से पकड़नी थी, जरा सा आगे बढ़ते ही जाम की स्थिति उतर कर देखा दूर दूर तक वाहनों की लम्बी कतार ड्राईवर ने तुरंत मोड़ कर सर्विस लेन पर गाड़ी उतार ली जैसे जैसे गाड़ी बढ़ती राहत की सांस आती जा रही थी नहीं तो निश्चित था टेªन निकल जायगी आगे एक ट्रक पलट गया था।

ड्राईवर और क्लीनर घायल थे उन्हें पटरी पर लेटा दिया गया था ट्रक हटा कर रास्ता चालू करने का प्रयंत्र किया जा रहा था एक मिनट रूक कर स्थिति देखी अरे धायल इन्हें पहले कोई हाॅस्पिटल क्यों नहीं पहुचा रहा चलो आके हाॅस्पिटल है इन्हें छोड़ देते हैं कर्तव्य का भाव जाग उठा। पागल हो अभी अगर टेªन नहीं पकड़नी है तो पड़ो चक्कर में पहले तो पुलिस मैं मामला दर्ज होगा तुम लेकर गयी तो तुम्हारा बंया होगा तुम्हें पुलिस इतनी आसानी से जाने नहीं देगी हो सकता है तुमने ही मारा हो पता लगा।

एम्बुलेंस के लिए फोन कर दिया है पर वह भी जाम खुलेगा तब ही तो आयेगी और अस्पताल वाले भी भरती नहीं करेंगे आसानी से में और शायद सभी जल्दी में थे लाख लाख शुक्र है गाड़ी मिल गई रास्ते मे ंएक स्थान पर फालसे लिये पता नहीं कौन जमाने का ठेले वाला था जो कागज में फालसे दे रहा था प्लास्टिक थैले नहीं थे उस अखबार मे ंएक पुरानी खबर और चित्र था एक टेªन दुर्घटना का एक महिला सीट से दबी थी और एक आदमी उसकी चूड़ी उतार रहा था खबर मैं था चूड़ी उतार कर वह भाग गया।

महिला को नहीं निकाला बस कांड तो होकर ही चुका है आधी दुनिया चीख कर रह गई कुछ नहीं हुआ रोज खबरें रहती है बैखोफ हैं यौन अपराधी यह सब भारतीय संस्कृति का हिस्सा है जिसका गौरबमय अतीत है एक भव्य आयोजन से वापस आते ही खबर मिली अमेरिका में बेटी दामाद व धेवती क कार दुर्घटना ग्रस्त हो गई कार ने पांच छः पलते खाए बेटी बेहोश दामाद ने गाड़ी से निकल कर देखा एक गाड़ी सहायता के लिए रुक गई उन्होंने उससे प्रार्थना की एम्बुलैंस से ही हिदायत दे रहे थे उन्हें क्या उपचार करता है दो मिनट मैं एम्बुलैस वहां थी पांच मिनट में पुलिस पहुंच गई एम्बुलैंस उन्हें लेकर हाॅस्पिटल चली और पुलिस ने उनका एक एक सामान बठोर कर यहां तक की चिल्लर भी उन तक सुरक्षित पहंुच दिया ईश्वर का बहुत धन्यवाद जो इसी भीषण दुर्घटना से सब उबर गये। किस सभ्यता संस्कृति केा हम मानवीय कहेंगे हां धन्यवाद के समय भारतीय ईश्वर ही मरे सामने थे ।