दो भाई
बहुत समय पहल एक गाँव में दो भाई रहते थे। बड़े भाई का विवाह हो चुका था लेकिन छोटा भाई अभी कुँवारा था बहुत सीधा सादा भी था।
छोटे भाई ने खेत में ज्वार बोया लेकिन पूरे खेत में केवल एक ज्वार का पौधा हुआ। यह पौधा खेत के बीचों-बीच था। उसे वह पौधा इतना सुंदर लगा कि वह पूरे जतन से उस पौधे को देख-भाल करने लगा। पौधा जल्दी ही बड़ा हो गया और उसमें ज्वार का फूल एकदम बड़ा सा लगा। धीरे-धीरे फूल में ज्वार लगने लगे। दाने बहुत बड़े-बड़े थे। लेेकिन जैसे ही वह पकने लगा एक अद्भुत चिड़िया आईं और ज्वार को तोड़ ले गई। सीधा सादा भाई हाथ हिलाता चिड़िया के पीछे भागा। भागते-भागते वह बहुत दूर निकल आया। धीरे धीरे रात हो गई और चिड़िया ने दिखाई देना बंद कर दिया। अब छोटे भाई ने अपने चारों ओर देखा। वहाँ बड़े-बड़े पहाड़ घने जंगल थे चीते, शेर, भेड़िया गुरगुरा रहे थे। उसे एक विशाल वृक्ष दिखाई दिया उस पर चढ़कर पत्तियों के बीच छिप कर बैठ गया।
पेड़ के नीचे कुछ ही देर बाद तीन मित्र, चीता, भेड़िया और बंदर आकर एकत्रित हुए। चीता बोला,‘ आज बहुत आराम महसूस हो रहा है। भाई बंदर कोई कहानी सुनाओ’, बंदर बोला, ‘कोई कहानी तो आती नहीं है हाँ एक मजेदार किस्सा सुना सकता हूँ।’ भेड़िया और चीता किस्सा सुनने को तैयार हो गये हो बंदर ने कहना शुरू किया,
‘दक्षिण पूर्व में करीब पचास मील दूर एक छोटा-सा गाँव हैं। वहाँ एक लड़की को कोई लाइलाज बीमारी लग गयी है। कोई भी उसे ठीक नहीं कर पा रहा है। उसके पिता ने घोषणा की है कि जो भी उसे ठीक कर देगा उसकी शादी उस लड़की से कर दूँगा। जब कि इसका इलाज बहुत सरल है, इस पेड़ की डाल की छाल को खुरचकर उसकी तीन गोलियाँ बनाकर उसे खिला दे तो वह ठीक हो जायेगी।’
चीता और भेड़िया ने आह भरी, काश, ‘हम आदमी होते तो शादी का कितना अच्छा अवसर था।’ छोेटे भाई ने बैठे-बैठे उस डाल पर से इतनी छाल उतार ली कि करीब तीन गोलियाँ बन जाय। तीनों जानवर कुछ देर तक और गपशप करते रहे और फिर चले गये।
प्रातः होते ही छेाटा भाई पेड़ से उतरा गोलियाँ लेकर गाँव की आरे चल दिया। रास्ता पूछता-पूछता वह गाँव में पहुँचा जहाँ वह बीमार लड़की थी। छोटे भाई ने लड़की को गोलियाँ खिलाई। लड़की तुरंत अच्छी हो गई। पिता ने धूमधाम से छोटे भाई की शादी लड़की से कर दी।
उधर बड़े भाई को छोटे भाई की कमी अखर रही थी क्योंकि वह घर की और खेत के सभी भरी काम छोटे भाई से करवाता था। बड़ा भाई पत्नी से बोला,‘ छोटा न जाने कहाँ घूम रहा है उसे घर आकर काम-धाम करना चहिए।’ यह कहकर वह छोटे भाई को ढूँढ़ने निकला। चलते चलते रात हो गई और वह भी उसी पेड़ के नीचे पहुँचा। जानवरों के डर से वह भी पेड़ पर छिप कर बैठ गया।
तीनों जानवर पहले दिन की तरह एकत्रित हुए। चीता बोला, ‘बंदर भाई कोई किस्सा कहानी सुनाओ’। बंदर बोला, ‘कल कोई पेड़ पर छिपा बैठा था उसने हमारी बातें सुन ली थी और धनवान बन गया आज पहले देख ले कोई यहाँ छिपा तो नहीं है।’
बडे़ भाई ने जब यह सुना तो डर से इतने जोर से कांपने लगा कि पेड़ जोर-जोर से हिलने लगा। बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ा और बड़े भाई को जमीन पर गिरा लिया और तीनों जानवर उस पर टूट पड़े उसे मार कर खा गये।