देदो पंख उधार
तितली रानी तितली रानी
देदो पंख उधार
उड़ते उ़ड़ते जाउंगी मैं
परियों के दरबार।
मधुमक्खी ने दिये हैं मुझको
घड़े मधु के चार,
कमलकली के फूलों का
बनवाया मैंने हार।
गुब्बारे में भर फूलों ने
दी सुगंध की झार,
परियों की रानी को दॅूगी
मैं सारे उपहार ।
सपने में परियॉं जब आती
करती हमसे प्यार ,
मन करता है जाकर देखॅूं
उनका भी संसार ।
तितली रानी तितली रानी
देदो पंख उधार ,
वापस कर दॅंूगी आकर
जाने दो इक बार ।
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