Tuesday 30 July 2024

desh videsh ki kahaniyan kath ka putla

 काठ का पुतला

एक जमाने की बात है एक छोटे से गाँव में एक बढ़ई मिस्त्री रहता था। उसका नाम था जिपेट्टो। वह काठ के खिलौने बनाया करता था। अपने कार खाने में ही वह रहता था। उसने एक बिल्ली और एक लाल मछली पाल रखी थी। एक दिन रात के वक्त एक थके माँदे मुसाफिर ने जिसका नाम जिमी क्रिकेट था। जिपेट्टो के कारखाने में चुपके से घुस कर बसेरा लिया। बच्चे जिपेट्टो को बहुत चाहते थे क्योंकि वह उनके लिये अच्छे अच्छे खिलौने बनाता टूटे खिलौने की मरम्मत कर देता और उन पर नया रंग चढ़ा देता था। जिपेट्टो था तो गरीब मगर उसकी छोटी सी दूकान में बड़ी अजीब चीजें जैसे घड़ियां बक्स आदि जमा थी।

जिस रात को जिमी क्रिकेट ने उसकी दूकान में बसेरा लिया था। उसी रात जिपेट्टो ने एक काठ का पुतला तैयार किया था। जिसकी शक्ल एक लड़के की सी थी। उसकी सभी बातें तो ठीक थी मगर नाक बहुत लम्बी और नुकीली थी। वैसी नाक किसी लड़के की नहीं होती। जिपेट्टो ने उस पुतले का नाम रखा था- पिनोकियो। जिमी क्रिकेट अलग चूल्हे पर बैठा बड़े चाव से उस पुतले को देख रहा था। उसमें लगे एक तार को खींच देने या घुमाने फिराने से वह चलने फिरने लगता नाचता बाजा बजाता और गाता भी। 

जिपेट्टो अपने मन में सोच रहा था कि क्या ही अच्छा होता अगर इस पुतले में जान होती। उस समय उसकी दूकान की खिड़की से आसमान में शुक्रतारा चमकता दिखाई दे रहा था। वह तारा सबकी मनोकामना पूरी करता है। जिपेट्टो ने अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये शुक्रतारा से प्रार्थना की कि पिनोकियो एक असली लड़का हो जाय। इसके बाद वह सोने चला गया। 

जिमी क्रिकेट दूर से ही यह सब तमाशा देख रहा था। जिपेट्टो के सो जाने के बहुत देर बाद तक भी उसे नींद नहीं आयी। अकस्मात् उसने देखा कि जिपेट्टो की खिड़की से शुक्रतारा प्रकाश आ रहा है। उस प्रकाश में एक सुन्दर परी आती दिखायी दी। परी के आने के साथ मधुर संगीत भी सुनाई दे रहा था। वह नीलम परी थी। उसका काम यही देखना है कि आदमियों को उनके अच्छे कामों का फल मिले। वह उस रात को जिपेट्टो की मनोकामना पूरी करने आयी थी। उसने सोये हुए जिपेट्टो के पास जाकर धीरे से उसके कान में कहा कि तुमने दूसरों को बहुत आनन्द दिया है, इसलिये तुम्हारी कामना जरूर पूरी होगी। इसके बाद नीलम परी पिनोकियो के पास गयी और उसे अपनी चमकती छड़ी छुआकर उसमें जान डाल दी। वह आँखें मटकाते हुए उठा जैसे सोकर जागा हो फिर अपनी लकड़ी की बाहों को ऊपर उठाकर उंगलियों को हिलाया। 

उसने खुश होकर कहा- ओहो अब मैं चल फिर सकता हुँ। नीलम परी ने मुस्कराते हुए कहा- हाँ हाँ पिनोकियो अब तुम चल फिर और बोल सकते हो। जिपेट्टो को एक लड़के की जरूरत थी। इस लिये आज रात को मैनें तुम्हें जान दी है। 

पिनोकियो ने प्रसन्न होकर कहा- तो अब मेैं एक सच्चा लड़का हूँ? नीलम परी ने कहा- ऐसा कोई जादू नही है जो किसी को सच्चा मनुश्य बना दे। मैनें तुम्हें जान दे दी है। बाकी सब तुम्हें करना है। पिनोकियो ने बड़ी नम्रता से पूछा- बताओ मुझे क्या करना चाहिये। मैं एक सच्चा लड़का बनना चाहता हूँ। 

नीलम परी ने कहा- तुम अपने को बहादुर सत्यवादी और निस्वार्थी साबित करो, जिपेट्टो के लिये अच्छे लड़के बनो ताकि उसे तुम पर गर्व हो। तब तुम एक सच्चा लड़का बन सकते हो। पर नीलम परी अच्छी तरह समझ रही थी कि वह पिनोकियो को बहुत कठिन काम करने को दे रही है। उसने पिनोकियो से कहा कि संसार तरह तरह के प्रलोभनों से भरा है तुममें भले बुरे की पहचान करने का ज्ञान होना चाहिये। 

पिनोकियो के यह पूछने पर कि भले बुरे की पहचान कैसे होगी, परी ने कहा कि तुम्हारा अन्तःकरण भले बुरे का अन्तर बतला देगा। पिनोकियो ने पूछा- यह अन्तःकरण क्या चीज है ? जिमी क्रिकेट दूर बैठा दोनों की बातचीत सुन रहा था। अब उससे रहा नहीं गया। वह उचक कर उनके पास चला गया और बातचीत में शामिल हो गया। उसने कहा- अन्तःकरण एक शान्त क्षीण स्वर है जिसे आदमी ध्यान से नहीं सुनते। इसीलिये आज दुनिया में तमाम गड़बड़ी मची हुई है। पिनोकियो ने बड़े आग्रह से पूछा- तो क्या आप मेरे अन्तःकरण हैं? उसकी बात सुन कर जिमी सकपकाया पर नीलम परी ने संभाल लिया। उसने मुस्काराते हुए जिमी से कहा- तुम दुनियादार आदमी मालूम होते हो। क्या तुम पिनोकियो का अन्तःकरण बनना पसन्द करते हो? 

इसके बाद नीलम परी ने अपनी छड़ी छुआकर जिमी को पिनोकियो का अन्तःकरण बना दिया और कहा कि मैं पिनोकियो को तुम्हारे हाथों में सौंपती हूँ। तुम अपनी सलाह और अनुभव से इसकी मदद करना ताकि यह सच्चा लड़का बन जाय। जिमी ने कहा कि जहाँ तक हो सकेगा मैं पिनोकियो की मदद करूंगा। नीलम परी ने पिनोकियो से कहा- देखो तुम एक अच्छे लड़के बनने की कोशिश करना और अपने अन्तःकरण से पूछ पूछकर आगे पैर रखना। इसके बाद वह वहाँ से चली गयी। 

परी के चले जाने के बाद जिमी ने पिनोकियो से कहा कि जब तुम किसी तकलीफ में पड़ना तो सीटी बजाकर मुझे बुला लेना। सीधे और तडं रास्ते से चलो और अगर तुम्हारा पैर कहीं फिसलने लगे तो सीटी बजाकर मुझे बुला लेना। यह कहकर वह उछल उछल कर नाचने लगा। उसको नाचते देख पिनोकियो भी नाचने लगा। आखिर खुशी के मारे वह अपने को संभाल न सका और धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। 

आवाज सुनकर जिपेट्टो जाग पड़ा पूछा- कौन है? पिनोकियो ने कहा- मैं हूँ। जिपेट्टो ने ख्याल किया शायद कोई चोर घुसा है और अपनी बिल्ली को जगाकर कहा कि इसे पकड़ना चाहिये। पर बाद को अपने पुतले को बेंच पर से जमीन पर पड़ा देख उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने पिनोकियो को उठाकर बेंच पर रखा और उससे पूछा कि तुम नीचे कैसे चले आये। उसने कहा- गिर पड़ा था। अपने पुतले की बातचीत करते देख जिपेट्टो को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ। पर उसे विश्वास था कि वह सपना नहीं देख रहा था। उसका पुतला सचमुच बोल रहा था। इससे उसे इतनी प्रसन्नता थी कि उससे हँंसते या रोते नहीं बनता था। खुशी के मारे वह बाजा बजाने और नाचने लगा। 

इसके बाद वह पिनोकियो के सोने के लिये इन्तजाम करने चला गया। इधर पिनोकियो ने देखा कि एक मोमबत्ती जल रही है। उसे उसकी खूबसूरत लपट बड़ी अच्छी लगी और हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ लिया जिससे उसकी एक उंगली जल गयी। फिर भी वह बहुत खुश था। जिपेट्टो पिनोकियो की जलती उंगली देखकर घबराया और उसे पानी के कटोरे में डुबाकर आग को बुझाया। उसे डांटते हुए कहा- खबरदार आग से कभी न खेलना। तुम लकड़ी के बने हो। जाकर चुपचाप सो रहो। 

Saturday 20 July 2024

jadui batta

 चंद्र ग्रहण

एक वृद्ध विधवा मृत्युशैया पर लेटी थी। उसके दोनों पौत्र पास ही खड़े थे। बच्चों वह बोली, और दादियों की तरह मैं तुम्हारे लिये सोना-चांदी तो छोड़ नहीं जा रही हूँ। बड़े के लिये सिल और छोटेे के लिये बट्टा छोड़े जा रही हूँ यह कहकर मर गई। बड़े भाई ने सोचा मैं इस सिल को लेकर क्या करूँगा ? मुझे कोई रसोई में नौकरी तो करनी नही है। उसने सिल रसोई में ही छोड़ी और परदेश मेहनत करके कमाई करने लगा। और बड़ा आदमी बन गया।

छोटे भाई को दादी पर अटूट श्रद्धा थी, जरूर बट्टे को कोई न कोई उपयोग जरूर होगा छोटे ने सोचा नही तो दादी क्यो देती? यह सोच कर वह जहाँ भी जाता उसे साथ ले जाता। अड़ोसी-पड़ोसी खूब हंसते। वह लकड़ी बेच कर अपनी रोटी का गुजारा करने लगा परंतु गरीब ही रहा।

एक दिन जब वह लकड़ी बीन रहा था एक सुर्पिणी वहाँ आई। छोटा लड़का डर के मारे पेड़ पर चढ़ गया। सर्पिणी बोली, डरो नहीं मैं तो बस तुम्हारा बट्ट़ा उधार लेने आई हूँ। इसका क्या करोगी? छोटे भाई ने पूछा, मेरे पति अभी ही मर गये है सर्पिणी बोली अगर उनके नथुनों से यह जादुई बट्टा लगा दिया जाय तो वह फिर से जीवित हो जायंेगे।’

‘ मैं नही जानता कि यह बट्टा जादुई है ?’छोटे भाई ने आश्चर्य से पूछा,

‘मेरे साथ आओ तुम्हें पता चल जायेगा ,’सर्पिणी ने कहा, वह उसके पीछे पीछे घने जंगल में गया वहाँ एक सर्प मरा पड़ा था। उसने अपना बट्टा उसके नथुनों से लगाया वह फौरन जीवित हो गया।

‘इस बट्ट़े की शक्ति इसकी सुगंध में है’। सर्पिणी ने कहा,‘ परंतु यह तब ही तक रहेगी जब तक कि तुम किसी से बताओगे नहीं।’ तब दोनों छोटे भाई को धन्यवाद कह चले गये।

छोटा भाई गाँव के लिये चला रास्ते में उसे एक कुत्ते का शव मिला। उसे मरे देर हो चुकी थी इसीलिये उसकी देह अकड़ गई थी। उसने जैसे ही उसके नथुने से अपना बट्टा लगाया कुत्ता उछल कर खड़ा हो गया। छोटे भाई ने उसका नाम अकड़ रखा। अकडू तब से अपने जीवनदाता का स्वामिभक्त वफादार साथ हो गया।

शीघ्र ही छोटा भाई मृत्युंजय वैद्य के नाम से प्रसिद्ध हो गया। किसी को भी यह पता नहीं लग पाता था कि यह बट्टा है जिसके कारण रोगी ठीक हो जाते हैं। वे समझते वह बट्टा केवल दवा पीसने के लिये रखता है। कुछ दिन बाद राजा की लड़की का देहांत हो गया। राजा ने छोटे भाई को बुलाया छोटे भाई ने राजकन्या को जीवित कर दिया। बदले में राजा ने राजकुमारी की शादी छोटे भाई से कर दी।

एक दिन छोटे भाई ने सोचा अगर यह बट्टा मृत्यु को जीवन में बदल सकता है तो बुढ़ापे को भी जीत सकता है। यह सोचकर प्रतिदिन एक बार खुद सूंघता एक बार राजकुमारी को सुंघा देता। राजकुमारी सोचती यह वैद्यराज की कोई सनक होगी। कुछ वर्ष बाद छोटे भाई को लगा कि उसने बुढ़ापे की दवा ढूँढ़ ली है ,क्यांकि वह और राजकुमारी जरा भी उम्र में नहीं बढ़े थे। लेकिन चंद्रमा को दोनों मृत्युलोक के निवासियों से जलन होने लगी। सूर्य तक बुड्डा हो रहा है चंद्रमा ने सोचा प्रतिदिन शाम को वह लाल भूरा सा कुम्हलाया हो जाता है वह बट्टा चुराने का मौका देखने लगा।

एक दिन बट्टा कुछ भीग गया इसीलिये छोटा भाई उसे धूप में बैठकर सुखाने लगा। ‘मेरे सरताज’, राजकुमारी ने हठ करते हुए कहा ,‘आप एक राज्य के उत्तराधिकारी हैं। आप एक बट्टे को लेकर धूप में सुखाने बैठे रहें, कुछ अच्छा नही लगता। यह काम सैनिकों पर छोड़ दो।’

 राजकुमारी ने इतनी हठ की कि उसे छोड़ना ही पड़ा लेकिन उसे किसी का विश्वास नहीं था। इसलिये वह अकडू को वहाँ पर बिठा अंदर आ गया। अकडू बट्टे को देखने लगा। चंद्रमा को मौका मिला और वह बट्टा चुराने आकाश से नीचे आया। सूर्य की तेज रोशनी में धुंधलाया चांद अकडू को दिखाई न दिया और चांद बट्टे को लेकर भागा ,बट्टे की खुशबू के सहारे वह चंद्रमा के पीछे भागा।

तब से लगातार कुत्ता चंद्रमा का पीछा कर रहा है। रात में तो उसे चंद्रमा दिखाई देता है। परंतु दिन में वह बट्टे की सुगंध के सहारे पीछा करता है। क्यांेकि रातदिन वह बट्टे को सूंघता रहता है इसलिये वह अमर हो गया है। कभी वह उसे पकड़ लेता है और निगलने की कोशिश करता है लेकिन कठोर होने की वजह से निगल नहीं पाता और उसे उगलना पड़ता है फिर से दौड़ शुरू हो जाती है।


Monday 15 July 2024

Anokha abhiyan kahani

 अनोखा अभियान 


5 सितम्बर 1970 शनिवार डा॰ ज्यूडिमर उम्र 29 साल और ओसवाल्ड औल्ज उम्र 27 साल दोनों ने केन्या पर्वत की चढ़ाई सम्पूर्ण की ही थी विजय दर्प से उन्होने चारों ओर देखा और फिर 5000 मीटर नीचे हरी धरती देखी। चार साल से वे दोनों पर्वत चढ़ने का अभियान चलाये हुए थे पर इस पर्वत की सुन्दरता अपूर्व थी। पर्वत केन्या की दो चोटियों में बेतियन चोटी 5199 मीटर ऊँची थी इसकी चढ़ाई एकदम सीधी होने की वजह से कुछ ही पर्वतारोही इसकी चोटी पर पहुँच पाते थे। इन दोनों से पूर्व जाम्बिया और दो अमेरिकी व्यक्तियों का एक दल चढ़कर लौटा था। और करीब 750 मीटर नीचे आराम कर रहा थ। 

दोनों आस्ट्रियन युवकों ने बैतियन चोटी के फोटो लिये और 2 बजे नीचे उतरना प्रारम्भ किया। एक दूसरे में बंधे 30 मीटर नीचे एक समतल स्थान पर उतरने के बाद ओल्ज रस्सी बाँधने के लिये चट्टान तलाशने लगा। ज्यूडीमर भी रस्सी बाँध कर एक स्थान पर झुक कर नीचे उतरने का रास्ता देखने लगा। 

एकाएक चीख उमरी और ओल्ज वहाँ अकेला रह गया। ज्यूडीमर के नीचे की चट्टान खिसक गई थी। ओल्ज रस्सी के लिये झपटा क्योकि अभी वह ऊपर ही थी। रस्सी हाथ में आ गई और सरकती गई उसे महसूस हुआ कि उसका माँस जल रहा है और दर्द हो रहा है उसने अपनी एड़ी कस कर जमीन में गाड़ दी और बाद में रस्सी लपेट कर ज्यूडीमर को गिरने से रोकने की कोशिश करने लगा। 

धड़़कते दिल से ओल्ज ने एक मजबूत चट्टान के साथ रस्सी बाँधी और उतर के दोस्त के समीप गया। ज्यूडीमर एक चट्टान के उभरे किनारे पर बैठ गया था। उसका सिर लहूलूहान हो रहा था। ओल्ज ने देखा ज्यूडीमर के सीधे पैर की एक हड्डी टूट कर बाहर निकल आई थी और करीब 5 संेटीमीटर हड्डी का टुकड़ा बाहर टूटा पड़ा था। जाघ में से तेजी से खून बह़ रहा था 

ओल्ज ने जल्दी से एक प्लास्टिक पट्टी उस स्थान पर बाँध दी। ‘मेरा समय आ गया,’ ज्यूडीमर बोला ओल्ज कुछ न कहकर काम करता रहा। उसने ज्यूडीमर के घाव साफ किये और ज्यूडीमर को कसकर चट्टान से बाँध दिया। जिससे वह गिर न पड़े वह देख रहा था सहायता शीघ्र संभव नही है किसी भी क्षण ज्यूडीमर मृत्यु पथ पर बढ़ सकता है पर उसने वही किया जो उस समय कोई कर सकता था। मै दवाई और सहायता के लिये आदमी ले कर आता हूँ। ‘कोई आशा है?’ ज्यूडीमर ने निरशा से सिर हिलाते हुए कहा।‘ ‘देखता हूँ पूरी कोशिश करूंगा।’ 

ठंड बढ़ने लगी थी। ओल्ज ने अपनी नीचे की दोनों जैकेट और कम्बल ज्यूडीमर को ओढ़ा दी और सोने के बैग में लिपटाकर उसके पास खाने के लिये फल रखकर उसे रस्सी से बाँधकर उससे विदा ले नीचे चल दिया। 

ओल्ज की घायल हथेली रस्सी पकड़ने में बहुत तकलीफ दे रही थी। दर्द की वजह से उसे रूकना भी पड़ रहा था। बर्फ की वजह से चट्टाने फिसलनी हो रही थी और बर्फ इतनी अधिक पड़ रही थी कि वह एक दो कदम से आगे देख नही पा रहा था। पर ऊपर अकेले पड़े ज्यूडीमर का ध्यान उसे निरन्तर बढ़ा रहा था। करीब छः बजे वह नीचे ठहरे हुए दल के समीप पहुँचा और उसे सब बताया। 

एक जाम्बियन 4800  की ऊँचाई पर स्थित टॉप हट पर दवाइयों के लिये और सौर्य ऊर्जा से संचालित रेडियो पर संदेश देने के लिये ढाई घंटे की निरन्तर यात्रा कर पहुँचा और नारों मोरू गाँव की पुलिस को इतला दे दी। 

एक पर्वतारोही बचाव दल और केन्या पुलिस पर्वतारोही संस्था के उत्साही सदस्य रार्बट चैम्बसे की अध्यक्ष पाँच घंटे के अंदर ऊपर तेजी से चढ़ रहे थे। दुर्भाग्य से उस समय उपस्थित अधिकतर व्यक्ति काफी दिन से पर्वत पर चढ़े नही थे या चढ़ने के अयोग्य थे।

लेकिन ज्यूडीमर को वहाँ मरने के लिये छोड़ा नही जा सकता है उन्होनें निश्चित किया कोशिश तो करनी ही है। उधर सुबह चार बजे तक वह जाम्बियान दवाईयां लेकर ओल्ज के पास पहुँच गया। एक अमेरिकन रिचार्ड साइक के साथ वे और ओल्ज ऊपर चल दिये। इस समय तक अठारह पर्वतारोही केन्या पुलिस के सिपाही और चार अन्य अधिकारी ऊपर ज्यूडीमर की सहायता के लिये चढ़ रहे थे एक हेलीकोप्टर भी रवाना हो गया था। 

लेकिन ओल्ज को वापस लौटना पड़ा सारा दिन बर्फ गिरती रही और वह चढ़ गया सात सितम्बर चार तीस पर दोपहर ओल्ज ने उस चट्टान के पास पहुँच कर आवाज लगाई पर कोई आवाज नही आई। तीन घंटे से अकेले पड़े ज्यूडीमर को बार बार लग रहा था कि वह नीचे गिर पड़ेगा। वह चेतनाहीन हो गया। 

ओल्ज ने ज्यूडीमर को देखा बुदबुदाया अभी जीवित तो है कम से कम मै सोच रहा था कहीं नीचे न गिर पडे़। उसने एक मार्फीन का इजैक्शन लगाया। ब्रूसों ने रेडियो से बचाव दल से सम्पर्क चाहा कि ज्यूडीमर अभी जीवित है लेकिन सम्पर्क नही हो पाया और वे स्टेªचर का इंतजार करने लगे। 

प्रातः काल एक हैलीकोप्टर उतरा लेकिन हेस्टिग को रस्सियों के लिये फिर वापस जाना पड़ा। ओल्ज ने एक इंजैक्शन ज्यूडीमर के और लगाया और उसके टूटी हड्डी के नीचे कैमरा लकड़ी की तरह लगाकर बाँध दिया ज्यूडीमर को बंडल की तरह बाँधकर एक व्यक्ति के पीछे लाद दिया। लेकिन ज्यूडीमर एक दम जोर से कराह उठा। ओल्ज चिल्लाया उसे नीचे रख दो वह मर जायेगा। नीचे से आने वाला दल ग्लूकोज बगैरह लाया उसी ने उस दोपहर ज्यूडीमर की जान बचाई।

बुधवार को हैलीकोप्टर की घरघराहट सुनाई दी। सबके दिल में आशा जगी कि अब ज्यूडीमर बचा लिया जायेगा। यद्यपि यह सभी जानते थे कि हैलीकॉप्टर मे तो ज्यूडीमर को ले जाया नही जा सकता। परन्तु रस्सियों से बाँधकर शायद कुछ उम्मीद बन सके। लेकिन उसी समय एक धमाका हुआ और हैलीकॉप्टर उभरी चट्टान से टकरा गया और हेस्टिग वहीं समाप्त हो गया। ज्यूडीमर का दिल डूबने लगा उसने अपना मुँह अपने बैग में छिपा लिया। 

उधर ज्यूडीमर के पिता भी अपनी पूरी कोशिश में थे। बुधवार की रात बहुत कष्टप्रद रही। बुखार से तपता ज्यूडीमर पानी पानी चिल्लाता रहा लेकिन पानी होठों से लगाते ही फेंक देता। 

उस दिन और उसके दूसरे दिन 34 पर्वतारोही ज्यूडीमर को नीचे लाने की कोशिश करते रहे। तीखी हवायें और काटती सर्दी मे लड़ते वे ज्यूडीमर को 120 मीटर नीचे लाने में सफल हो गये। 

शुक्रवार की सुबह आस्ट्रियन बचाव दल नैरोबी पहुँच गया एक पुलिस हवाई जहाज में भरकर वे नानयूकी पहुँचे आखिरी पन्द्रह किलोमीटर उन्होने पैदल पार करने थे। आधी रात को पहुँच कर वे वहाँ बाकी यात्रा की तैयारी करने लगे। 

शनिवार सुबह आस्ट्रियन बचाव दल ने चढ़ना शुरू किया। ऊपर से ज्यूडीमर को लेकर उतरने वाले किसी न किसी प्रकार 120 मीटर नीचे और उतार लाये। लेकिन अब उनकी हिम्मत जबाब दे गई थी साथ ही बरसात भी होने लगी। ज्यूडीमर का चेहरा प्लास्टिक के कपड़े से ढक दिया। 

कुछ देर बाद ओल्ज फुसफुसाया ,‘अब हालत नाजुक है’। एक बोला ,‘कहीं इतनी सब मेहनत बेकार न जाय।’लेकिन ज्यूडीमर ने तभी आँखे खोली और धीमे स्वर में बोला,‘यात्रा बेकार नही जायेगी। ’

उन सबमें एक नया उत्साह भर गया और तेजी से वे ज्यूडीमर के बंडल को लटकाये नाइलॉन की रस्सियों पर लटकते 200 मीटर नीचे और उतर आये। फिर फिसलनी तिरछी चट्टानें आयीं बर्फ की टूटी चट्टानंे पार करते 10 बजे के करीब उन्हें कामी की रोशनियों चमकती दिखाई दीं । आस्ट्रियन पर्वतारोहियो के लिये यह अनोखा पर्वतारोहण था जिसे में उन्होने अफ्रीका की सबसे खतरनाक चोटी की चढ़ाई केवल 54 घंटों में की थी और उसमें भी एक अधमृत व्यक्ति को उतार लाये थे। 

अभी ज्यूडीमर को तो आपरेशन बगैरह से गुजरना था लेकिन उसने सब को गदगद कंठ से धन्यवाद दिया उसकी आँखे भर आयी। लेकिन उसके पिता ने रोते हुए मृत पाइलट हेस्ंिटग को याद करते हुए कहा,‘ मै अपना सिर उस महान आत्मा के सम्मान में झुकाता हूँ जिसने उस व्यक्ति के लिये अपना जीवन दान कर दिया। जिसे देखा तक नही। मेरे घर से उसका नाम कभी नही मिटेगा। ’


Sunday 7 July 2024

hans lo kuch der

 संटू का बॉस- मेरी यह शर्ट उल्टी करके प्रैस करना  

संटू - जी सर 

दो दिन बाद

बॉस-अरे तुमने अभी तक शर्ट प्रैस करके नहीं दी ।

संटू- सर दो दिन से कोशिश कर रहा हॅंू उल्टी नहीं  आ रही है । इसलिये शर्ट भी प्रैस नहीं हुई है ।


शेर एक बुढ़िया से बोला- मैं तेरा खून पी जाउंगा। 

बुढ़िया- पीना है तो किसी जवान मर्द का पी,उसका खून गरम होगा ।

शेर - नहीं , आज मेरा कोल्ड ड्रिंक पीने का मन कर रहा है ।

 

गब्बर - ये हाथ मुझे देदे ठाकुर

ठाकर - ये ले...ले... मेरे हाथ, बसंतीके भी लेले,जय और वीरु के भी लेले,आक्टोपस बन जा ।

गब्बर - ओए सॉरी यार तू तो इमोशनल हो गया यार ।


एक बार जब एक मनोचिकित्सक अपने क्लिनिक पहुंॅंचा तो उसने वहॉं दो मरीजों को पाया । एक छत से  लटका हुआ था जबकि दूसरा ऐसा अभिनय कर रहा था जैसे कि वह कुल्हाड़ी से लकड़ियॉं काट रहा हो ।

डॅाक्टर ने  अभिनय करने वाले से पूछा,यह आदमी उल्टा क्यों लटका हुआ है? मनसेचिकित्सक की बात सुन उस मरीज ने हंसते हुए कहा ,‘ वह बेवकूफ समझता है कि वह बल्ब है ।

डॉक्टर - तुम उसे फौरन नीचे उतारो । 

मरीज -उसे नीचे उतार दूॅंगा तो फिर मैं क्या अंधेरे में लकड़ियॉं काटूॅंगा ।


टीचर - समुद्र में नीबू का पेड़ हो तो तुम कैसे तोड़ोगे

संटू -चिड़िया बनकर

टीचर - आदमी को चिड़िया तेरा बाप बनायेगा?

संटू - समुद्र में पेड़ आपका बाप लगायेगा ?


छोटू ने कुकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। सभी प्रतियोगी कुछ न कुछ बना रहे थे । छोटू खाली बर्तन में में चम्मच घुमाने लगा । जज ने पूछा - क्या बना रहे हो ? 

छोटू - उल्लू


संटू और बंटू पानी पीने गये  मेज पर एक गिलास उल्टा पड़ा था

संटू- इसका तो मुॅंह  बंद है 

बंटू - हॉं यार और नीचे से भी टूटा हुआ है ।