काठ का पुतला
एक जमाने की बात है एक छोटे से गाँव में एक बढ़ई मिस्त्री रहता था। उसका नाम था जिपेट्टो। वह काठ के खिलौने बनाया करता था। अपने कार खाने में ही वह रहता था। उसने एक बिल्ली और एक लाल मछली पाल रखी थी। एक दिन रात के वक्त एक थके माँदे मुसाफिर ने जिसका नाम जिमी क्रिकेट था। जिपेट्टो के कारखाने में चुपके से घुस कर बसेरा लिया। बच्चे जिपेट्टो को बहुत चाहते थे क्योंकि वह उनके लिये अच्छे अच्छे खिलौने बनाता टूटे खिलौने की मरम्मत कर देता और उन पर नया रंग चढ़ा देता था। जिपेट्टो था तो गरीब मगर उसकी छोटी सी दूकान में बड़ी अजीब चीजें जैसे घड़ियां बक्स आदि जमा थी।
जिस रात को जिमी क्रिकेट ने उसकी दूकान में बसेरा लिया था। उसी रात जिपेट्टो ने एक काठ का पुतला तैयार किया था। जिसकी शक्ल एक लड़के की सी थी। उसकी सभी बातें तो ठीक थी मगर नाक बहुत लम्बी और नुकीली थी। वैसी नाक किसी लड़के की नहीं होती। जिपेट्टो ने उस पुतले का नाम रखा था- पिनोकियो। जिमी क्रिकेट अलग चूल्हे पर बैठा बड़े चाव से उस पुतले को देख रहा था। उसमें लगे एक तार को खींच देने या घुमाने फिराने से वह चलने फिरने लगता नाचता बाजा बजाता और गाता भी।
जिपेट्टो अपने मन में सोच रहा था कि क्या ही अच्छा होता अगर इस पुतले में जान होती। उस समय उसकी दूकान की खिड़की से आसमान में शुक्रतारा चमकता दिखाई दे रहा था। वह तारा सबकी मनोकामना पूरी करता है। जिपेट्टो ने अपनी मनोकामना पूरी करने के लिये शुक्रतारा से प्रार्थना की कि पिनोकियो एक असली लड़का हो जाय। इसके बाद वह सोने चला गया।
जिमी क्रिकेट दूर से ही यह सब तमाशा देख रहा था। जिपेट्टो के सो जाने के बहुत देर बाद तक भी उसे नींद नहीं आयी। अकस्मात् उसने देखा कि जिपेट्टो की खिड़की से शुक्रतारा प्रकाश आ रहा है। उस प्रकाश में एक सुन्दर परी आती दिखायी दी। परी के आने के साथ मधुर संगीत भी सुनाई दे रहा था। वह नीलम परी थी। उसका काम यही देखना है कि आदमियों को उनके अच्छे कामों का फल मिले। वह उस रात को जिपेट्टो की मनोकामना पूरी करने आयी थी। उसने सोये हुए जिपेट्टो के पास जाकर धीरे से उसके कान में कहा कि तुमने दूसरों को बहुत आनन्द दिया है, इसलिये तुम्हारी कामना जरूर पूरी होगी। इसके बाद नीलम परी पिनोकियो के पास गयी और उसे अपनी चमकती छड़ी छुआकर उसमें जान डाल दी। वह आँखें मटकाते हुए उठा जैसे सोकर जागा हो फिर अपनी लकड़ी की बाहों को ऊपर उठाकर उंगलियों को हिलाया।
उसने खुश होकर कहा- ओहो अब मैं चल फिर सकता हुँ। नीलम परी ने मुस्कराते हुए कहा- हाँ हाँ पिनोकियो अब तुम चल फिर और बोल सकते हो। जिपेट्टो को एक लड़के की जरूरत थी। इस लिये आज रात को मैनें तुम्हें जान दी है।
पिनोकियो ने प्रसन्न होकर कहा- तो अब मेैं एक सच्चा लड़का हूँ? नीलम परी ने कहा- ऐसा कोई जादू नही है जो किसी को सच्चा मनुश्य बना दे। मैनें तुम्हें जान दे दी है। बाकी सब तुम्हें करना है। पिनोकियो ने बड़ी नम्रता से पूछा- बताओ मुझे क्या करना चाहिये। मैं एक सच्चा लड़का बनना चाहता हूँ।
नीलम परी ने कहा- तुम अपने को बहादुर सत्यवादी और निस्वार्थी साबित करो, जिपेट्टो के लिये अच्छे लड़के बनो ताकि उसे तुम पर गर्व हो। तब तुम एक सच्चा लड़का बन सकते हो। पर नीलम परी अच्छी तरह समझ रही थी कि वह पिनोकियो को बहुत कठिन काम करने को दे रही है। उसने पिनोकियो से कहा कि संसार तरह तरह के प्रलोभनों से भरा है तुममें भले बुरे की पहचान करने का ज्ञान होना चाहिये।
पिनोकियो के यह पूछने पर कि भले बुरे की पहचान कैसे होगी, परी ने कहा कि तुम्हारा अन्तःकरण भले बुरे का अन्तर बतला देगा। पिनोकियो ने पूछा- यह अन्तःकरण क्या चीज है ? जिमी क्रिकेट दूर बैठा दोनों की बातचीत सुन रहा था। अब उससे रहा नहीं गया। वह उचक कर उनके पास चला गया और बातचीत में शामिल हो गया। उसने कहा- अन्तःकरण एक शान्त क्षीण स्वर है जिसे आदमी ध्यान से नहीं सुनते। इसीलिये आज दुनिया में तमाम गड़बड़ी मची हुई है। पिनोकियो ने बड़े आग्रह से पूछा- तो क्या आप मेरे अन्तःकरण हैं? उसकी बात सुन कर जिमी सकपकाया पर नीलम परी ने संभाल लिया। उसने मुस्काराते हुए जिमी से कहा- तुम दुनियादार आदमी मालूम होते हो। क्या तुम पिनोकियो का अन्तःकरण बनना पसन्द करते हो?
इसके बाद नीलम परी ने अपनी छड़ी छुआकर जिमी को पिनोकियो का अन्तःकरण बना दिया और कहा कि मैं पिनोकियो को तुम्हारे हाथों में सौंपती हूँ। तुम अपनी सलाह और अनुभव से इसकी मदद करना ताकि यह सच्चा लड़का बन जाय। जिमी ने कहा कि जहाँ तक हो सकेगा मैं पिनोकियो की मदद करूंगा। नीलम परी ने पिनोकियो से कहा- देखो तुम एक अच्छे लड़के बनने की कोशिश करना और अपने अन्तःकरण से पूछ पूछकर आगे पैर रखना। इसके बाद वह वहाँ से चली गयी।
परी के चले जाने के बाद जिमी ने पिनोकियो से कहा कि जब तुम किसी तकलीफ में पड़ना तो सीटी बजाकर मुझे बुला लेना। सीधे और तडं रास्ते से चलो और अगर तुम्हारा पैर कहीं फिसलने लगे तो सीटी बजाकर मुझे बुला लेना। यह कहकर वह उछल उछल कर नाचने लगा। उसको नाचते देख पिनोकियो भी नाचने लगा। आखिर खुशी के मारे वह अपने को संभाल न सका और धड़ाम से नीचे गिर पड़ा।
आवाज सुनकर जिपेट्टो जाग पड़ा पूछा- कौन है? पिनोकियो ने कहा- मैं हूँ। जिपेट्टो ने ख्याल किया शायद कोई चोर घुसा है और अपनी बिल्ली को जगाकर कहा कि इसे पकड़ना चाहिये। पर बाद को अपने पुतले को बेंच पर से जमीन पर पड़ा देख उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने पिनोकियो को उठाकर बेंच पर रखा और उससे पूछा कि तुम नीचे कैसे चले आये। उसने कहा- गिर पड़ा था। अपने पुतले की बातचीत करते देख जिपेट्टो को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ। पर उसे विश्वास था कि वह सपना नहीं देख रहा था। उसका पुतला सचमुच बोल रहा था। इससे उसे इतनी प्रसन्नता थी कि उससे हँंसते या रोते नहीं बनता था। खुशी के मारे वह बाजा बजाने और नाचने लगा।
इसके बाद वह पिनोकियो के सोने के लिये इन्तजाम करने चला गया। इधर पिनोकियो ने देखा कि एक मोमबत्ती जल रही है। उसे उसकी खूबसूरत लपट बड़ी अच्छी लगी और हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ लिया जिससे उसकी एक उंगली जल गयी। फिर भी वह बहुत खुश था। जिपेट्टो पिनोकियो की जलती उंगली देखकर घबराया और उसे पानी के कटोरे में डुबाकर आग को बुझाया। उसे डांटते हुए कहा- खबरदार आग से कभी न खेलना। तुम लकड़ी के बने हो। जाकर चुपचाप सो रहो।