Wednesday 23 October 2024

jhakkad Danav

 झक्कड़ दानव


किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी। उसका पुत्र बड़ा निकम्मा और आलसी था जबकि बुढ़िया लोगों का धान आदि कूट कर अपना व उसका पेट पालती थी। एक साल गाँव में अकाल पड़ा, बुढ़िया को वह काम भी मिलना बंद हो गया अब घर में फाके होने लगे तो लड़का लोगों के खेतों पर थोड़ी बहुत मजदूरी करने लगा। धीरे धीरे सभी काम काज बंद हो गये गाँव े में सभी परेशान रहने लगे। घर की गाय का दूध पहले तो बिक जाता था अब वह भी नही बिकता था गाय का चारा पानी नहीं मिल रहा था तो उसने दूध भी देना कम कर दिया। दो दिन से बचे दूध को बुढ़िया ने जमाया और मटकी में भरकर लड़के को देते हुए बोली,‘ बेटा जरा काम काज ढंग से कर। यह दही शहर ले जाकर बेच दे। वहीं से कुछ  पैसों का खाना और कुछ पैसों का ठेल लगाने लायक सौदा ले आना यहाँ बेच देंगे।’ यह कह के रस्सी की इंडुरी बनाकर लड़के के सिर पर मटकी टिका दी।

माँ ने खाना लाने के लिये थैला दिया और कहा कि लौटते में जंगल पड़ेगा कंद मूल तोड़ लाना। वही रास्ते में खा लेना। यह कहकर एक चाकू थैले मे डाल दिया। लड़के ने थैला गले में लटकाया और ‘दही लो दही’ की आवाज लगाता चल दिया।

चलते चलते लड़के को जंगल में एक मकान दिखाई दिया। लड़के ने सोचा कुछ देर आराम किया जाय फिर आगे चला जाय। वह उस खाली पड़े मकान में घुसा। चारों ओर देखा तो हैरान रह गया। बड़ी सी हांडी में खाना पक रहा था पर पकाने वाला कोई दिखाई नहीं दिया। उसने ‘कोई है! कोई है!’ की आवाज लगाई। किसी ने जबाब नही दिया तो ऊपर अटारी पर चढ़ कर लेट गया। लेटते ही उसे नींद आ गई।

वह मकान एक राक्षस का था। कुछ ही देर में वह वापस आया। घर में घुसा कि उसे मानुष गंध आई। वह चिल्लाया मानुष गंध! मानुष गध! लड़के की नींद खुली भयानक राक्षस की चारों ओर सूँ सूँ कर सूंघते देख एक बार तो डर गया परंतु हिम्मत नही खोई हांडी में मुँह दे जोर से धरधराती आवाज बनाता हुआ बोला ‘यह कौन मूर्ख है जिसने मेेरी नीद खराब की। उसकी शामत आई है क्या?’

राक्षस को ताज्जुब हुआ कि ऐसा कौन व्यक्ति आ गया जो उससे इस तरह बोल रहा है। अब तक उसने सबको घिघियाते ही देखा था वह अकड़ कर बोला, ‘मैं..मैं..अक्कड़ दानव हूँ।’

‘ तो लगता है तूने मेरा नाम नही सुना कभी , मैं झक्कड़ दानव हूँ। चल भाग यहां से मुझे सोने दे।’

   ‘क्या? ’अक्कड़ दानव को बहुत गुस्सा आया ,‘तू क्या समझता है अपने आपको। मेरे जैसा शक्तिशाली कोई नही है।’ 

‘अच्छा ’हा! हा! हा! कहकर लड़का जोर से हँसा,‘ अगर तू मुझसे बड़ा है शाक्तिशाली है तो मैं अपना बाल फेंकता हूँ अपने बाल से मिला लेना ’कहकर लड़के रस्सी फेंक दी। राक्षस इतना बड़ा बाल देख हैरान रह गया। फिर भी बोला ,‘मैं नहीं मानता’‘ अच्छा तो मैं थूकता हूँ तू भी थूक।’ राक्षस ने जोर से गला खखार कर थूका लेकिन लड़के ने दही उलट दिया। अब तो राक्षस डर गया पर फिर भी हिम्मत नही हारी बोला, ‘अच्छा देखते है जो ज्यादा खायगा वही बड़ा है।’

लड़के ने थैला कमीज के नीचे किया और अटारी पर से उतर आया। अपने सामने एक लड़के केा देख पहले तो जोर से हँसा फिर दो बड़ी बड़ी हंडिया में खाना परोसा। दोनों ने खाना शुरू किया। लड़का सारा खाना थैले में भरता जा रहा था कभी कभी दिखाने को एक दो ग्रास खा लेता। जब उसका थैला भर गया तो बोला अभी बस इतना ही खा सकता हूँ पहले इतना खाना निकाल दूँ तब और खाऊँगा यह कहकर चाकू से थैला चीर दिया। सारा खाना बाहर निकल आया। फिर खाने की तैयारी करने लगा। राक्षस का भी पेट भर गया था उसने सोचा यह तरकीब अच्छी है। उसने चाकू उठा कर पेट चीर लिया। राक्षस तड़प कर वही ढेर हो गया। लड़के ने राक्षस का सब धन बटोरा और वापस घर आ गया और माँ के साथ सुख से रहने लगा।


Monday 21 October 2024

ahoi athe ki braj ki katha

 अहोई आठे

नन्द भौजाई मिलिके खदाने में ते मिट्टी खोदिवे गई। मट्टी खोदत में नन्द पै स्यायी मैय्या के चिकुली चिकुला (बच्चा) कट गये। स्याओ ने नन्द कूँ पकरि लयौ और बोली कै तैनें मेरे बच्चान कूँ काट दयौ है तू मोकूँ अपनी कूँख दे। बाकी सात भौजाई हती उनमें ते सातइ भौजाई ने स्याओं ते कही - मैय्या! जाकी कूँख मति लैं, जि तौ पराये घर की है। जाकी बदली मेरी कूँख लैलै। 

तब ते सातई भौजाई के बच्चा होंय और मरि मरि जाँय। बाकी की छै भौजाईन कें तो खूब सुख हो उनके बेटा -बेटी खू खेलते कूदते और जाकें बिचारी के बड़ों दुख रहतौ। बु जाँकू रात दिना ताहिने मारयो करतीं - जा और दिया अपनी कूँख पराई जाई से पीछें। बाँकू ऐसे दुखी देखि कें काऊ परोसिन ने वाय एक उपाय बतायौ कै कातिक लगत जो आठें आवैं बाकूं अहोई आठें कहें हैं सो तू बाकौ बर्त रहिये। बाकौ वर्त सुख सुहाग और सन्तान कू दैवे बारौ है। बाके करिवे तें तेरे सब दुख दूर है जामिंगे। वा दिना तेरे यहाँ अहोई माता आवैगी तू बाके मूड़ के डींगर ( जंुआ ) देखिवे जइयो। बाके सुख हैवे ते बु तोकू सब कछू दै जावेगी। 

कातिक लगत आठें आई। बानें लीप पोत के भीति पै चन्दा तारे बनाये और स्याओ माता की मूर्ति काढ़ी। दिन भर निर्जला वर्त राख्यो। संजा कूँ अहोई माता बुढ़िया के रूप मं आई। वाय खूब भोजन कराये और फिर बाके डींगर देखिवे बैठि गई, गोद में अपनो हाल ही कौ पैदा भयौ छोरा हू डारि लयौ। बीच बीच मं बा छोरा कूँ नौच देई करैं। जाते बु छोरा जोर जोर ते रोवन लगै। अहोई माता बोली - चौं बहू जि लाला काये कूँ रोइ रहो है? बहू ने कही - जापै पहरिवे, औढ़िवे और बिछाइवे कू कपड़ा लत्ता नाँहि ताते रोइ रहौ है। तो बुढ़िया ने अपने कान मं ते एक रूई की फुरफुती निकासि कैं आँगन में फैंक दई। सोई वहाँ तौ बढ़िया बढ़िया कपड़ान कौ ढेरि लग गयौ। थोरी देर पीछै फिर बहू ने बालक कू नौचि दयौ। तै बालक फिर रोमन लग्यौं। बालक कूँ रोमत देखि कैं फिर अहोई ने पूछी - बहू अब काये कूँ रौवे है? बहू बोली कैं मैय्या जि अकेली है जाकैं और कोई भैय्या बहन नायें बाते रोवै है। अहोई मैय्या ने अपने कान ते दूसरी फुरफरी निकारि कैं फैंक दई सोई बाके सगरे बालक जो मरि गये बु सब आँगन मंे खेलने लगे। बहू ने फिर अपने बालक कूँ नौंच दयौ - फिर अहोई ने पूछी कै अब काहे कूँ रावे है। बहू बोली कै जि तुम्हारी कान की फुरफुती के ताई मचलि रहौं है। अहोई नेवाय अपने कान की फुरफुती हू दे दई। सोई बाकें सकल सिद्धनवौ निद्ध है गई। बड़े बड़े महल चौवारे बनि गये। खूब धन दौलत है गयो। अहोई माता की दया ते बाकैं सब आनन्द है गये। जैसी अहोई मैय्या बाकें पहिलें आई वैसी काऊ कैं मति अइयो और जैसी पीछें आई वैसी सब काऊ कैं अइयो। 



Friday 4 October 2024

ve kuch shan

 वे कुछ क्षण

शनिवार , फरवरी 21 1970 चार बजे का समय होगा, मार्क अपनी मित्र नैन्सी के साथ मियामी नदी पर समुद्री दीवार के मुहाने पर कार धोने के लिये ले गया। नैन्सी ने मुस्करा कर सहायता करनी चाही तो मार्क ने हाथ पकड़कर प्यार से कार ही में बैठा लिया। 

‘ठीक है तो मै बैठी तुम्हें देखती रहूँगी।’ मार्क ने मुस्तांग (कार का नाम) को नदी से 45 का कोण बनाते हुए खड़ किया था। उसका बांया सामने का पहिया कंकीट की बनी दीवार पर टिका था। कार के अन्य पहिये स्काई हारवर मरीना की घास पर टिक थे। उस स्थान का मालिक स्वयं मार्क का पिता ही था। 

मुस्तांग की सफाई करने में मार्क को आधा घंटा लगा। पानी के छीटों से बचने के लिये नैन्सी ने कार के सभी शीशे कस कर बंद कर दिये थे। वहीं पास ही मार्क के पिता अपनी नाव पोकाहीन्तास पर काम कर रहे थे। 

कार मे बैठी नैन्सी ने उसमें लगी कार रेडियो सुनने के लिये उसने इगनीशन चाबी घुमायी। लेकिन गलती से वह चाबी दूसरी ओर घुमा गई। एकाएक मार्क चौंका। कार आगे खिसक रही थी। लो गेयर में पड़ी गाड़ी का स्टार्टर शोर करने लगा। मार्क ने जल्दी से दरवाजा खोला और ब्रेक पर पैर रखना चहा लेकिन मुस्तांग किनारे की ओर उतरने लगी। 

पोकाहोन्तास पर खड़े मार्क के पिता ने देखा कि गाड़ी के पिछले पहियों ने जमीन छोड़ दी है। कुछ क्षण के लिये वह स्थिर हुई। स्तब्ध उन्होने देखा उनका पुत्र कार के साथ आधा बाहर आधा भीतर घिसटता हुआ उसे पीछे घसीटने में लगा हैं। जैसे ही कार नीचे झुकी एक तेज लहर आई और दरवाजे की बन्द कर गई। 

पीछे रह गये मार्क ने झपट कर कार की छत पर चढ़ कर नैन्सी की तरफ का दरवाजा खोलना चाहा। आगे की सीट के पास पहुँचकर वह चिल्लाया। बाहर आ जाओ बाहर निकलो लेकिन कार तब तक पूरी झुक चुकी थी और मार्क बाहर लटका रह गया। उसका दाया पैर दरवाजे में फंस गया उसे कुचलती कार नदी में जा गिरी। 

चार बजकर बत्तीस मिनट पर मार्क ने पिता सहायता के लिये फोन कर रहे थे। नारमन नामक फायर मैन उसी क्षण अपने साथियों के साथ घटना स्थल की ओर रवाना हो गया। 

पानी के अंदर मार्क का दम घुटने लगा। किसी तरह वह दरवाजे मे से पैर निकालने में सफल हो गया। सतह पर आकर चिल्लाया नैन्सी नीचे कार में है कोई सहायता करो। साँस भरकर वह फिर कार ढूंढने पानी में चला गया पर कुछ क्षण में ही उसे वापस आना पड़ा उसके फेफड़े फूल गये थे। और वह पत्ते की तरह काँप रहा था। 

किनारे पर अब तक भीड़ जमा हो चुकी थी। उन्ही में से डेबिड हार्ले नामक व्यक्ति कमर में रस्सा बाँध कर कूद गया। पानी में गहन अंधेरा छाया था। चार पाँच फिट नीचे कार अदृश्य पड़ी थी। हाथ से टटोलने पर डेबिड ने महसूस किया कि उसका एक दरवाजा ऊपर की ओर है उसने उसे खोलने की कोशिश की लेकिन खोल न सका तो दरवाजे के हेंडल में कस कर रस्सी बाँध कर ऊपर आ गया। 

मार्क दोबारा कूदना चाहता था लेकिन उसकी हालत इस योग्य थी ही नहीं उसे पीछे खंीच लिया गया तब तक फायर मैन और पुलिस पहुँच गई। फायर मैन बान लेन और डान ग्रीन दोनों नदी में कूद गये। बाब ने महसूस किया कि कार में ताला लगा हुआ है और शायद ड्राइवर की तरफ वाला द्वार है गाड़ी दाहिनी तरफ की करवट से पड़ी हुई थी। 

शाम गिविन्स और पोल डेमन ने भी पानी में उत्तर कर कोशिश की लेकिन द्वार नहीं खोल पाये। वास्तव में जब कार दीवार पार कर रही थी नैन्सी समझ ही नही पाई थी कि क्या हो रहा है। जब विन्ड स्क्रीन पर पानी फैला तब उसे हाश्ष आया। अपने रैड क्रास के जीवन रक्षा के कोर्स में उसने सीखा था कि ऐसे खतरे में गाड़ियों में हवा के बबूले छिपे रह जाते हैं चारों ओर अंधकार छा गया था। पानी धीरे धीरे उसके पैरों से कमर तक फिर छाती तक चढ़ आया था। पानी के सिर तक पहुँचने पर वह समझ गई कि अब वह कुछ ही क्षणों की मेहमान है। 

कार के पिछले हिस्से में उसने तैरने की कोशिश की और एक साफ स्थान पर गहरी साँस ली। उसे कुछ हवा के बबूले मिल गये थे। नैन्सी ने हिम्मत नही छोड़ी वह शान्त रही उन लोगों को किसी तरह ज्ञात हो जाना चाहिये कि मै जीवित हूँ कहीं मृत जान कर कोशिश करना न छोड़ दे। उसने पीछे के शीशे थपथपाना शुरू किये। कुछ क्षण तक वह ऊपर देखती रही कुछ काला काला नजर आया कहीं मिट्टी बादल तो नही? उसने सोचा तभी बादलों ने आकृति ग्रहण की दो गहरे रंग के पैर नजर आये। यह मार्क या जो गाड़ी न मिल पाने की बजह से वापस लौट गया। 

नैन्सी को साँस लेना मुश्किल हो गया था। गाड़ी को पानी में आये पाँच मिनट हो गये थे। हवा के बबूले भी खत्म हो गये थे और किनारे से तेजी से पानी आना शुरू हो गया था। डरी हुई नैन्सी ने हवा लेने के लिये इधर उधर मुँह घुमाया और कुछ ही क्षणों में उसके आगे अंधकार छा गया। अब तक दस मिनट बीत चुके थे और लारी नार्टन अंदर आने की कोशिश में था। पहली डुबकी में नार्टन ने भी औरों की तरह ड्राइवर वाले दरवाजे को ही खोलने की कोशिश की लेकिन उसे लगा कि वह दरवाजे पर खड़ा नही है वरन् उसके सहारे तैर रहा है शायद कार लहरों के थेपेड़ो से पलट गई थी। 

पहली डुबकी में वह साठ सैकिंड तक साँस रोके रहा। उसने प्रत्युत्तर की आशा से शीशा थपथपाया परन्तु कुछ सुनाई न पड़ा। चौथी बार उसके साँस रोकने की ताकत कम होती जा रही थी। जो भी अंदर है वह समाप्त हो चुकी है उसने सोचा। 

अपनी अगली डुबकी में उसे कार नही मिली। अब उसमें पन्द्रह सेकिड तक साँस रोकने की ताकत बाकी थी। आठवीं बार वह पानी में गया और ड्राइवर के दरवाजे पर पहुँच गया। आठ सैकंड बीत चुके थे। बोनेट की तरफ तैरता वह दूसरी तरफ पहुँचा वहाँ द्वार टटोला तो पाया दरवाजा कुछ खुला है। उसने उसे आधा मीटर और खोला और अंदर टटोला पर कुछ नजर न आया। अब तक तेरह सेकंड बीत चुके थे। साँस लेने की उसे बेहद आवश्यकता महसूस हुई लेकिन लड़की को इस समय छोड़ना उसे गवारा न था। 

उसने धमनियों के द्वारा साँस लेना प्रारम्भ किया और कार मैं घुस्ने का प्रयास करने लगा। दूसरे ही क्षण उसका हाथ किसी वस्तु से टकराया। एक संेडिल पहने पाँव थे। बीस संकिड बीत चुके थें 

थकान से लड़ता हुआ नाार्टन भयानक तेजी से काम कर रहा था। उसने लड़की को आगे की सीट पर खींच लिया और उसकी पतली कमर के चारों ओर हाथ से घेरा बना दिया। तभी उसे लगा एक हाथ धीरे धीरे स्वंय ही उसके दाहिने हाथ को लपेट सा रहा है नार्टन एक उत्साह से भर उठा। 

जीवन के इस क्षण ने बिजली की तेजी से उसमें जीवन संचार किया। उसने किसी तरह खींच कर उसे कार में से निकाला। कुछ ही क्षण में नैन्सी सतह पर थी। उसके बाद निकला नार्टन । नैन्सी का चेहरा काला पड़ चुका था। आँखें बंद थी नार्टन शंकित हो उठा उसी क्षण नैन्सी ने हवा के लिए इधर उधर सिर हिलाया और चिल्लाई बचाओ। 

नार्टन ने उसी समय नैन्सी को उल्टा लिटा कर उसके पेट से पानी निकालना शुरू किया लेकिन पानी केवल कुछ बूंद ही निकला। बेहोशी की हालत में भी नैन्सी ने अपने अंदर पानी नहीं जाने दिया था। हाश्ष में आने पर नैन्सी ने अपने को हरी घास पर पाया। वह धीरे धीरे साँस लेने लगी। आँखें बंद थी। उसे मार्क की दुखी आवाज पड़ी इसकी आँखें खुलेंगी नही क्या? नैन्सी समझ गई कि वह सकुशल है। कुछ देर बाद वह अस्पताल में थी उसे आक्सीजन चढ़ रहा था। नार्टन ने धीरे धीरे उसकी पलकों पर हाथ फेरा पन्द्रह मिनट तक जीवन से संघर्ष करने के बाद नैन्सी ने फिर आँखे खोंल दी।