अहोई आठे
नन्द भौजाई मिलिके खदाने में ते मिट्टी खोदिवे गई। मट्टी खोदत में नन्द पै स्यायी मैय्या के चिकुली चिकुला (बच्चा) कट गये। स्याओ ने नन्द कूँ पकरि लयौ और बोली कै तैनें मेरे बच्चान कूँ काट दयौ है तू मोकूँ अपनी कूँख दे। बाकी सात भौजाई हती उनमें ते सातइ भौजाई ने स्याओं ते कही - मैय्या! जाकी कूँख मति लैं, जि तौ पराये घर की है। जाकी बदली मेरी कूँख लैलै।
तब ते सातई भौजाई के बच्चा होंय और मरि मरि जाँय। बाकी की छै भौजाईन कें तो खूब सुख हो उनके बेटा -बेटी खू खेलते कूदते और जाकें बिचारी के बड़ों दुख रहतौ। बु जाँकू रात दिना ताहिने मारयो करतीं - जा और दिया अपनी कूँख पराई जाई से पीछें। बाँकू ऐसे दुखी देखि कें काऊ परोसिन ने वाय एक उपाय बतायौ कै कातिक लगत जो आठें आवैं बाकूं अहोई आठें कहें हैं सो तू बाकौ बर्त रहिये। बाकौ वर्त सुख सुहाग और सन्तान कू दैवे बारौ है। बाके करिवे तें तेरे सब दुख दूर है जामिंगे। वा दिना तेरे यहाँ अहोई माता आवैगी तू बाके मूड़ के डींगर ( जंुआ ) देखिवे जइयो। बाके सुख हैवे ते बु तोकू सब कछू दै जावेगी।
कातिक लगत आठें आई। बानें लीप पोत के भीति पै चन्दा तारे बनाये और स्याओ माता की मूर्ति काढ़ी। दिन भर निर्जला वर्त राख्यो। संजा कूँ अहोई माता बुढ़िया के रूप मं आई। वाय खूब भोजन कराये और फिर बाके डींगर देखिवे बैठि गई, गोद में अपनो हाल ही कौ पैदा भयौ छोरा हू डारि लयौ। बीच बीच मं बा छोरा कूँ नौच देई करैं। जाते बु छोरा जोर जोर ते रोवन लगै। अहोई माता बोली - चौं बहू जि लाला काये कूँ रोइ रहो है? बहू ने कही - जापै पहरिवे, औढ़िवे और बिछाइवे कू कपड़ा लत्ता नाँहि ताते रोइ रहौ है। तो बुढ़िया ने अपने कान मं ते एक रूई की फुरफुती निकासि कैं आँगन में फैंक दई। सोई वहाँ तौ बढ़िया बढ़िया कपड़ान कौ ढेरि लग गयौ। थोरी देर पीछै फिर बहू ने बालक कू नौचि दयौ। तै बालक फिर रोमन लग्यौं। बालक कूँ रोमत देखि कैं फिर अहोई ने पूछी - बहू अब काये कूँ रौवे है? बहू बोली कैं मैय्या जि अकेली है जाकैं और कोई भैय्या बहन नायें बाते रोवै है। अहोई मैय्या ने अपने कान ते दूसरी फुरफरी निकारि कैं फैंक दई सोई बाके सगरे बालक जो मरि गये बु सब आँगन मंे खेलने लगे। बहू ने फिर अपने बालक कूँ नौंच दयौ - फिर अहोई ने पूछी कै अब काहे कूँ रावे है। बहू बोली कै जि तुम्हारी कान की फुरफुती के ताई मचलि रहौं है। अहोई नेवाय अपने कान की फुरफुती हू दे दई। सोई बाकें सकल सिद्धनवौ निद्ध है गई। बड़े बड़े महल चौवारे बनि गये। खूब धन दौलत है गयो। अहोई माता की दया ते बाकैं सब आनन्द है गये। जैसी अहोई मैय्या बाकें पहिलें आई वैसी काऊ कैं मति अइयो और जैसी पीछें आई वैसी सब काऊ कैं अइयो।
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