Tuesday, 4 February 2025

udhmi chunoo munoo

 ऊधमी चुन्नू मुन्नू


चुन्नू मुन्नू दोनों चुहे 

ऊधम बहुत मचाते

कुतर कुतर कर कागज कपड़ा

फिरते थे इठलाते 

इक दिन देखा लाला के घर

रोटी दाल पकाते 

तब दोनों के मन में आया

खाना चलो बनाते 

मोदी लाला की दुकान से 

आटा दाल चुराया

एक पेड़ के नीचे जाकर

 चूल्हा एक जलाया

मिट्टी के कुल्हड़ में भरकर

बड़ी चटपटी दाल बनाई

रोटी बेली गोल गोल

और बड़े मजे से उसे फुलाई 

एक फूल कर गेंद बनी

एक रह गई चपटी चपटी,

फूली पर जीभ दोनों की

खाने को थी रपटी

फूली रोटी मैं ही लॅंूगा

मैं लाया था आटा

चुन्नू बोला मैं ही लूॅंगा

तु खायेगा चॉंटा

वे दोनो लड़ रहे इधर थे

उधर कूद कर बंदर आया

चुपके चुपके रोटी खाकर 

भरे पेट पर हाथ फिराया

दाल फैल गई झटके से 

पानी पिया मटके से ।




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