इंगलैड की लोक कथा पर आधारित
चाँद चमक उठा
बहुत दिन पहले की बात है इतने पहले की कि सूर्य चन्द्र का पृथ्वी पर चमकने का ढंग ही अलग था। दोनों पृथ्वी पर ही तेजी से चलते थ्ेा और एक जगह पर जरा जरा देर रहते थे। सूर्य क्योंकि बड़ा था इसलिये ज्यादा देर हर देश में चमकता उसमें इतनी तेज रोशनी थी कि वह जब दूसरे देश चला जाता तब भी हल्की रोशनी पहले देश में रहती। लेकिन चन्द्रमा की रोशनी शीतल थी। वह ठंडा था तो गर्म रहने के लिये काला लबादा पहन लेता। जब वह मुँह खोलता एकदम उजाला हो जाता पूर्णमासी का सा ,और फिर लबादा पहन कर आगे चला जाता। तो अंधकार छा जाता। अंधकार छाते ही चोर डाकू अपने घरों से निकल पड़ते और राहगीरों को लूट लेते थे। जनता परेशान थी कि क्या करें। अंधेरे में दिखाई देता नहीं था। चोर डाकू पहचाने भी नहीं जाते थे। चाँद केा जब यह ज्ञात हुआ कि उसके लबादा पहनने ही जनता में भय पैदा हो जाता है तो बहुत परेशान हुआ।
एक दिन चाँद काला लबादा पहन कर सड़कों पर आ गया और चोर डाकुओं केा पकड़ने के लिये इधर उधर घूमने लगा। बारिश की वजह से जगह जगह कीचड़ हो रहा था और गड्डों में पानी भर गया था। चन्द्रमा का पैर इधर उधर पड़ जाता उससे लबादा हट जाता उससे जरा जरा झलक हो जाती और अंधेरे में वह देखता कि साये इधर उधर घूम रहे हैं। चाँद हल्के हल्के पॉव रखते चला जा रहा था कि एक पत्थर से पैर टकराया उसने पास की टहनी पकड़ ली लेकिन यह क्या टहनी हाथ की हथकड़ी बन गयी। चाँद ने बहुत छुड़ाने की कोशिश की लेकिन हथकड़ी न छुड़ा सका। चाँद को पास से किसी की चीख सुनाई पड़ी वह समझ गया कोई राहगीर अंधेरे में भटक गया है। चाँद ने देखा चोरों ने उसे गले से पकड़ लिया है। और भी हाथ उसकी ओर बढ़ रहे हैं तभी चाँद के मुँह से जरा लबादा खिसक गया और उस व्यक्ति को रास्ता दिखाई पड़ गया रोशनी देखकर चोर पीछे हट गये। वह व्यक्ति चाँद केा धन्यवाद देता हुआ चला गया। चाँद ने अपने को बहुत छुड़ाने की कोशिश की लेकिन छुड़ा नहीं पा रहा था। चोर डाकुओं ने अपने सबसे बड़े दुश्मन को अपने कब्जे में देखा तो प्रसन्न हो गये उन्होंने पीछे से जाकर उसको बाँध दिया उसका लबादा पूरा ढका और एक साथ सबने मिलकर पकड़ लिया और लताओं से कसकर बाँध दिया। सारी रात वे चाँद केा ठिकाने लगाने की सोचते रहे। लेकिन समझ नहीं आ रहा था क्या करें। भोर की पहली किरण के साथ ही उजाला होने लगा अब चोर डाकू घबड़ा गये कि कि कैसे करें। कुछ चोरों ने कहा मार दें और दबा दें। पर कुछ ने कहा नहीं हत्या नहीं करेंगे क्योंकि कुछ भी हो चाँद करता तो सेवा ही है ऐसे व्यक्ति की हत्या करके महापाप नहीं करेंगे। अंत में जब अधिक उजाला फैलने लगा तो एक चोर ने पास ही पानी भरे गहरे गड्डे में उसे फेंक दिया और गड्डे पर भारी पत्थर रख दिया। चाँद को दबाकर सब अपने अपने घर चले गये। जब तक पूरा सुबह का उजाला हुआ चाँद पानी में डूब चुका था।
दिन गुजरते गये लेकिन चाँद नहीं निकला जनता बहुत परेशान थी क्योंकि अब तो चोर डाकू निर्द्वन्द्व होकर लूटपाट करते उन्हें किसी का डर ही नही रह गया
दिन गुजरते गये लेकिन चाँद नहीं निकला तो जनता को बहुत चिन्ता हुई। आखिर चाँद को हो क्या गया। चोर डाकुओं की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि अब वे मुँह ढक कर घरों के आस पास घूमते रहते कोई भी बाहर निकलता पकड़ लेते और उसे लेकर घर में घुसकर लूटपाट कर लेते।
No comments:
Post a Comment