च्ंादा की बरात
च्ंादा की बारात सजी है
झिलमिल तारे बने बराती
बादल बाजे चले बजाते
चपला नृत्य दिखाती ।
आसमान का चक्कर लेकर
सूरज के दरवाजे आई
चंदा का स्वागत करने
किरणें अगवानी को आईं।
सूरज की बेटी घूंघट में
धीरे से पग धरती आई
लाज भरे नयनों से हंसकर
ऊषा ने माला पहनाई
क्रते हुए विदा बेटी को
स्ूारज की ऑंखे भर आईं
गले लगा बेटी को कसकर
छल छल छल ऑंखें छलकाईं ।
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