Sunday, 22 December 2024

kahan ja rahe badal bhaiya

 कहॉं जा रहे बादल भैया


मुझको जरा बताओ ,


इतनी जल्दी क्या है तुमको


तनिक देर रुक जाओ ।


थोड़ा सा पानी ,खेतांें को


थोड़ा सा पेड़ांें को


कुछ पानी तालों को देदो


 कुछ पानी मेड़ों को


भारी भारी लाद पोटली


क्यों भागे जाते हो


पौधे सारे सूख रहे हैं


इनको क्यों तरसाते हो ।


नदिया हो गई दुबली दुबली


प्यासी सूख रहीं हैं,


तुमको पानी लाते देखा


मन तें हूक रही हैं


क्रते हो कल्याण जगत का


निर्भर तुम पर सब प्राणी


तुमसे ही है भरा समंदर


धरती की चूनर धानी ।


 


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