Friday, 13 October 2023

nani ghar

 नानीघर

निकल निकलकर जब आती है

बचपन    तेरी    बीती  बातें   

रात रुपहली भोर    सुनहरी

प्यार से भीगी थीं बरसातें ।

राजा थे हम नानी घर के

गेादी नाना की सिंहासन,

हम थे कृष्ण कन्हैया घर के

नानी का घर था वृन्दावन।

जिद करते यदि हम चंदा की

तारे तो आ ही जाते थे

थम्मक थम्मक हाथी चलता

घुटने चल नाना बहलाते।

रात चाॅंदनी में गद्दों पर

नानी कहती नई कहानी

बौना लेकर आता गाड़ी

बैठ कर आते राजा रानी।

सुनते सुनते हम सो जाते 

नानी भी सो जाती थी 

जब हम घर को वापस आते 

गले लगा रो जाती थीं ।



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