अपनी धरती
कितनी अच्छी लगती हमको
अपनी प्यारी धरती
ठंडी ठंडी हवा घूमती
नदियाँ कल कल बहती
वृक्ष हमें जीवन देते हैं
स्वच्छ हवा हमको देते हैं
खाना देते पानी देते
गंदी हवा स्वयं ले लेते
अधिक लगायंे पेड़ अगर हम
धरती भी बच जायेगी
रेगिस्तान न और बनेंगे
हरियाली छा जायेगी।
छोटे होते जाते खेत
बढ़ती जाती सूखी रेत
बन गये कंक्रीटों के जंगल
गर्म हवा गाती है मंगल
बढ़ जायेगी गर्मी खूब
वर्फ पिघल हम जाये डूब
सूखेगा नदियों का पानी
पीली होगी चादर घानी
जीवन अगर बचाना है
पेड़ अनेक लगाना है
हरियाली छा जायेगी
धरती मां बच जायेगी।
No comments:
Post a Comment