झील का रहस्य
आज चलो पिकनिक मनाने चलते है कल वर्षा हुई है आज भी बादल से छाये हैं कॉफी राहत है मजा रहेगा, अमित ने चारू रमन और रीता की ओर देखकर कहा ‘ हॉं चलो चलते हैं पर नौ तो बज गये ” रीता जबतक नहाई नहीं थी बोली ,‘खाना भी तो लेना पड़ेगा । “ तो क्या हुआ आंटी से पूरियॉ बनवा लेते है। ” रमन तो उत्साह में खड़ा भी हो गया । चारू और रमन मौसी के यहॉ गर्मी की छुट्टियों में आये थे अमित और रीता बराबर के से थे इसलिये यहॉ उनका मन खूब लग जाता था और अधिकतर छुट्टियॉ विताने कभी अमित रीता चले जाते या कभी चारू रमन आजाते थे तेज गर्मी की वजह से वे लोग कही बाहर नहीं निकल रहे थे कैरम आदि खेल खेल कर बोर हो रहे थे। टीवी या वी.सी आर पर पिक्चर देख लेते थे शाम को भी घर से निकलने पर लू के थपेडे़ लगते थे। इसलिये रमन की मम्मी उन्हें बाहर नही जाने देती थी। पहली रात की तेज वर्षा ने मौसम काफी खुशनुमा कर दिया था
“ लेकिन अधिक दूर कहीं मत जाना कहॉं जाओगे पिकनिक पर?’ रमन की मॉ ने पूरियॉ बनाते कहा,‘ हम नदी किनारे तरबूज खरबूज के खेत ं जायेंगे वहीं बाबा की बगीची में खेलेगें ’रमन ने बैट बॉल लिया। चिप्स आदि के पैकेट रखते रीता बोली,‘ ओफू चाकू तो लेना भूल ही गई खरबूजा काटेंगे किससे ’ रीता ने जेबी चाकू ढूॅंढ कर अपने बैग में रख लिया क्यों कि बडे़ चाकू से मम्मी काम कर रही थी।
ग्यारह बजे तक सब नदी किनारे पहुॅच गये गर्मी के कारण नदी सूखी पड़ी थी एक रास्ते से बहुत से लोग नदी पार कर रहे थे पानी बस एक फुट वहीं से नदी पार कर खेतों मंे पहुॅचे। ‘चलो अंदर की तरफ घूमने चलते है “ रमन ने कहा।,‘ उधर जंगल का रास्ता है, बगीची चलते है “ अमित ने रोकते कहा । ‘अरे! तो क्या हुआ दिन का समय है कोई जंगल हाल ही तो शुरू नही है। जायेगे लौट आयेगेे चलो चलो ।’ सबने सामान लादा और अंदर की तरफ चल दिये कच्चे आम दिखाई दिये तो आम तोड़े बेल तोड़ कर थेैले में डाले ढेर सारे कदम्ब के फूल तोड़़े जब थक गये तो पैर पसार कर एक घने पैड़ के नीचे बैठ गये ।
‘अब तो भूख लगी है ’ खाने का सामान निकाल कर जैसे टूट पड़े। करीब दो बजे चुके थे अभी तो समय हैं चलो लेटा जाये ठंडी हवा चल रही हैं’ चारू बहुत थक रही थी। ‘थोड़ा आराम करलोे फिर वापस चलते हैं’ यह कहकर रमन ने चारों ओर देखा लेकिन यह क्या रास्ता तो भूल चुके थे अन्दाज ही नही लग रहा था किधर से आये थे ? उसने पूछा ,‘उधर कदम्ब के पेड़ है न’ पर कहते कहते वह स्वयं ही चारों ओर घूम गया । क्योकि चारो ओर कदंब के पेड़ नजर आ रहे थे अमित ने कहा ,“ उठो उठो रास्ता देखना पडेगा अधेरा हो जायेगा’ वह घबरा गया। कुछ दूर चलने पर ही चारू कहने लगी, जरा सुस्ता लो चला नही जा रहा है ’यह कहकर एक पत्थर के विशाल खंड से लगकर बैंठ गई, चारों वही बैठ गये। “ ‘जब हम आये थे तब यह शिला तो भिली नहीं थी ’रीता ने इधर उधर देखते कहा, तभी उसे एक व्यक्ति आता दिखाई दिया,‘ चलो उससे पूछते है। रुको अमित का मन शंकित हो उठा क्योकि उस व्यक्ति का चलने का ढंग संदेह पैदा कर रहा था वह चारों ओर शंकिता सा देखता ,बार बार पीछे मुड़ता देखता तेजी से जा रहा था ’कही कोई रास्ता तो होगा चलो इसके पीछे चलते है रमन उत्साहित हो उठा ‘लेकिन दबे पांव’ कुछ दूर चलने पर उन्होंने देखा एक पुराना सा मकान था वह व्यक्ति उसी के अंदर चला गया लेकिन उसके अंदर जाने से पहले वह पलट कर चारों ओर देखने लगा कोई आ तो नही रहा है । चारों बच्चे ओट से मकान को देखने लगे। कुछ ही देर में एक फ्रेंच दाढ़ी वाला व्यक्ति अंदर घुसा। वह भी घुसने से पहले बहुत सतर्का था । अब इन चारों को निश्चय हो गया कि अवश्य कुछ गड़बड़ है उन्होंने मकान का चारों ओर से निरीक्षण किया ंपीछे ही नदी बह रही थी एक फेरी बंधी थी । यहॉ पानी गहरा था पीछे भी दरवाजा था पर वह बंद था तभी दोनों व्यक्ति बाहर जाते दिखाई दिये दरवाजा उढका था चारों एक एक के कर उसमें प्रवेश कर गये। चारू रमन एक कमरे में घुसे ,अमित रीता दूसरे कमरे में पहला खाली था दूसरे में खाने पीने का सामान था तीसरा गैलरी पार करके एक और कमरा नजर आ रहा था उसके दो रास्ते बंटे थे एक पास ही कमरा उढका था अमित रीता उसमें धुसे और रमन रीता चौथे सामने वाले कमरे में धुसे वहॉ धुसते ही वे मैाचक्का रह गये । नई चमचमाती हुई विशाल मशीन थी उसमें अनेक सयन्त्र लगे थे दो टेप रिकार्ड भी ,‘अरे यह तो एसी मशीन तो मैंने रेडियो स्टेशन पर देखी हैं’ ’ ‘चल हट , रेडियो स्टेशन पर तूने देखी ,’ ‘मैं मम्मी के साथ रेडियो स्टेशन कई बार गई मम्मी के भजन प्रसारित होते है न वहॉ से ,’ ‘तो यह इसका यहॉं क्या कर रहे हैं’,तभी एक मजबूत हाथ अमित के कंधे पर पड़ा ‘क्यों बच्चू यहॉ क्या कर रहे हो’दाढी वाला और दूूसरा व्यक्ति लौट आया था इस बारएक तीसरा मोटा व्यक्ति भी साथ वह गुर्राया‘ये बच्चे अदंर कैसे आये दरवाजा बंद नहीं किया था’ ‘किया था बॉस पर अभी बस किनारे तक ही गया तब तो यहॉ कोई नहीं था ’ ’चलो इन्हें बांध कर कमरे में डाल दो सोचेगें इनका क्या किया जाये ’ ‘बच्चे है ये क्या समझे यह भगा दीजिये ,’ दाढी वाले ने कहा । ‘बच्चे बडे़ आफत केे परकाला होते हैं यदि किसी से भी जिक्र कर दिया तो फॅस जायेगें मोटेे ने कहा ,‘इन्हैं पीछे नदी में डुबो दे यहीं ठीक रहेगा ,’
अभी तो बांध कर डाल दो
चलो सन्देश देने क्या समय हो गया है एक व्यक्ति ने रमन और चारु केे हाथ बॉध कर उन्हैं पास वाले कमरे मै धकेल दिया बाकी दोनांे ने उस मशीन को चालू कर समाचार पढने शुरू किये समाचार के बाद कोड शब्दोे में बोला ।
अमित और रीता दरवाजे की और से सारा कंाड देख रहे थे उनका बुरी तरह दिल धड़क रहा था। अमित तैरना जानता था लेकिन रीता नही जानती थी नदी तो पार अवश्य करनी हैं लेकिन रास्ता कहॉ पहॅुचेगा हमें पहले चारु और रमन को बचाना है अमित का दिमाग तेजी से धूम रहा था तभी उसे डोंगी की याद आई
‘क्यों न , नदी पार जाकर पुलिस में खबर दे दूं ’अमित फुसफुसाया ,‘ पता नहीं कितनी दूर हैं हम तब तक उन्होनें उन्हें डुबो दिया तो रीता सहमी हुई थी ,‘ ऐसा कर तू डोंगी चला लेगी ‘ ‘ मैं’ रीता सहम गई कभी चलाई नहीं’’ ‘ अच्छा छोड़ तू नदी किनारे इधर दरवाजे की तरफ देखती छुपी बैठी रहना मैं पुलिस में खबर करता हूॅ चल जल्दी समय कम है वे लोग दबे पॉव बाहर निकले एक बार चप्पू की छपछप सें अमित धबरा गया रीता को भी डर लग रहा था पर दरवाजे की और देखती वह छिप गई ,मुॅह के पर्स खोल उल्टा दिया चाकू निकाल लिया पीछे मुठ्ठी ही पकडे उसने अमित के बंधे हाथ की डोरी पर चाकू धिसना शुरू किया जोर नहीं लगा पा रही थी बार बार चाकू गिर जाता पर कुछ देर मे वह रस्सी काटने में सफल हो गई
अमित ने चारु के बंधन खोले लेकिन अब समस्या कमरे से बाहर निकलने की थी कहीं भी कोई साधन नहीं नजर आ रहा था दरवाजा बाहर से बंद था न कोई मेज न कुर्सी।
‘धत् तेरे की! अब क्या करें ?’अमित को गुस्सा आ रहा था चारु को रोना आने लगा ।
‘देखी जायेगी जैसे ही कोई दरवाजा खेालेगा उसे पकड कर गिरा दंेगे और भाग चलेंगे आहट पर ध्यान देना।’ दोनांे दरवाजे से टेक लगाकर बैठ गये दो। घन्टे हो गये कोई भी दरवाजा खेालने नही आया
‘हॅंू सोच रहे हैंे बच्चे हैं भूखे प्यासे ही मार देंगें रमन और रीता पता नही कहॅा हैं किस कमरे में हैं’ अमित ने रमन को सुनाने के लिए परिचित सीटी बजाई लेकिन कहीं कोई जबाब नहीे आया
कुछ ही देर मे कई आहटें सुनाई दी जैसे कई व्यक्ति आ रहे हों लेकिन सब बगल के कमरे की ओर बढ़ गये कान लगाये वे दम साध आहटें सुनने लगे। एकाएक कुंाडी उतरने की आवाज सुनाई दी दोनों तैयार हो गये जैसे ही जरा दरवाजा खोला इन्होंने झपाटे से पूरा दरवाजा खोल आने वाले को दबोच लिया,‘ अरे! अरे यह क्या ? ’साथ हो दोनांे मौचक्के रह गये क्यांेकि जिसेे उन्होंने दबोचा था वह अमित था वह पुलिस बुला लाया था दो व्यक्तियों को पकड़ लिया था और मोटे वाले व्यक्ति ,उनके बॉस के लिये जाल बिछा दिया गया था इन देश के दुश्मनों ने पाकिस्तानियों से मिलकर एक अवैध रेडियो स्टेशन बना लिया था जिससे वे जासूसी कर खबरें कोड शब्दों द्वारा मेजा करते थे। बाद में बॉस भी पकड लिया चारों बच्चों को सरकार की तरफ से सम्मान पत्र ब इनाम मिला।
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