पिनोकियो अपने पिता को देखने के लिये बहुत उत्सुक था। उसे इतनी उतावली थी कि जिमी के साथ बाजी लगाकर वह दौड़ता हुआ घर चला। मगर जिमी दौड़ने में तेज था, वह बहुत दूर आगे निकल गया। पिनोकियो बहुत पीछे अकेला पड़ गया। चलते चलते वह गाँव के एक ऐसे मुहल्ले में पहुँचा जिधर भले आदमी आँख उठाकर भी नही देखते थे। वहाँ पक्के बदमाशों का अड्डा था। वहीं उसी लोमड़ी और बिल्ली ने उसे देखा और सोचा कि इससे फिर पैसा कमाना चाहिये। लोमड़ी ने आगे बढ़कर कहा -अरे भाई पिनोकियो कहाँ दौड़े जा रहे हो अच्छे हो न? तुम्हें देखकर बड़ी खुशी हुई। पिनोकियो ने कहा कि मैनें थियेटर छोड़ दिया है। अब अपने घर जा रहा हूँ। फिर मैं स्कूल जाऊँगा और मेहनत से पढूँगा। लोमड़ी ने उसे रोककर कहा- तुम क्या कह रहो हो? भला तुम स्कूल जाने लायक हो तुम बीमार दिखाई पड़ते हो और तुम्हारी बीमारी ऐसी खतरनाक है कि ताज्जुब नहीं कि जल्द मर जाओ। ऐसी खतरनाक बीमारी की बात सुनकर पिनोकियो बहुत घबराया। पूछा अब मुझे क्या करना चाहिये?
लोमड़ी ने कहा घबराओ मत। इस बीमारी से बचने के लिये बहुत सीधा उपाय है। कुछ दिन आनन्दद्वीप जाकर आराम करो। वहाँ हर रोज छुट्टी रहती है। तरह तरह के खेलने के सामान मिलते हैं। वह बच्चों के लिये तो स्वर्ग ही है। लोमड़ी ने इस ढंग से उसे आनन्दद्वीप का वर्णन किया कि पिनोकियो उसकी बातों में आ गया और वहाँ जाने को तैयार हो गया।
इधर जिमी जिपेट्टो के घर पहुँचा। जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पिनोकियो नही था। फिर वह उसे खोजने के लिये लौट पड़ा। जब वह चौराहे पर पहुँचा तब आधी रात हो चुकी थी। उसने देखा कि पिनोकियो फिर बदमाशों के चंगुल में फंस गया है। वह एक छकड़े पर लादा जा रहा था। जिस पर और भी बच्चे चढ़े हुए थे। उस छकड़े का मालिक उन बच्चों को कहीं बेचने के लिये ले जा रहा था। लोमड़ी ने उसी के हाथ पिनोकियो को भी बेच दिया था। बच्चों को लादकर छकड़े वाले ने छकड़े को आगे बढ़ाया।
जिमी ने फिर एक बार पिनोकियो को छुड़ाने की कोशिश की। वह भी छकड़े के पिछले हिस्से में एक कोने में बैठ गया। वह जानता था कि पिनोकियो फिर आफत में फंसने जा रहा है। उसे बचाना उसका कर्तव्य था। कुछ दूर जाकर सब लड़के छकड़े से उतार कर एक स्टीमर में चढ़ाये गये। जिमी भी चढ़ा। समुद्री यात्रा से उसकी तबीयत खराब हो गयी थी पर उसे अपने लिए चिन्ता नहीं थी। वह पिनोकियो के लिये बहुत चिन्तित था, जिसकी दोस्ती लैम्पविक नामक एक लड़के से हो गयी जो उन लड़को में सबसे बदमाश था। जिमी ने पिनोकियो को उसका साथ न करने के लिये मना किया पर काठके पुतले ने उसकी एक भी न सुनी। उसने लैम्पविक का साथ न छोड़ा। स्टीमर आनन्दद्वीप पहुँचा। वहाँ पहुँचने पर बड़ी धूम धाम से बच्चों का स्वागत किया गया। उन्हें तरह तरह की खाने की चीजें दी गयीं। पिनोकियो ने आनन्दद्वीप को वैसा ही पाया जैसा कि लोमड़ी ने बतलाया था। पर जिमी को वहाँ की एक भी बात पसन्द नहीं आयी। वहाँ गये हफ्तों गुजर गये, जिमी को पिनोकियो एक दिन भी अकेले में नही मिला जिससे वह उसे कुछ समझा सके। वह लेम्पविक और दूसरे बदमाश लड़कों के साथ दिन भर घूमा करता। वे सब चारों ओर ऊधम मचाते और शरारतें करते रहते। छकड़े वाला और उस द्वीप का मेयर उन्हें बढ़ावा देते थे। लेम्पविक के साथ रह कर पिनोकियो बहुत सी बुरी आदतें सीख लीं। एक दिन वह उसके साथ बैठा सिगरेट पी रहा था। जिमी यह देखते ही उसके पास पहुँचा और बोला अब तुम सिगरेट भी पीने लगे। पिनोकियो ने लैम्पविक की नकल कर उसी के बदमाशी भरे ढंग से कहा- तो क्या हुआ? जिमी ने कहा- तुम अपने को खराब कर रहे हो। तुम्हें अभी घर चलना होगा। लैम्पविक ने पूछा- यह कौन है? पिनोकियो बोला -यह मेरा अन्तःकरण है यह मुझे सलाह देता है। लैम्पविक ने कहा जब तुम्हारे ऐसे सलाहकार हैं तो मै जाता हूँ। मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। यह कहकर वह चला गया। पिनोकियो ने कहा जिमी तुमने यह क्या किया। लैम्पविक मेरा दिली दोस्त था। यह कहकर वह उसके पीछे दौड़ा गया और कहा - भाई लैम्पविक मुझे छोड़कर मत जाओ। मै तुम्हारे ही साथ रहूँगा।
अब जिमी से यह बर्दाश्त नहीं हो सका। उसने अपने मन में कहा-अब यह मुझे छोड़कर बदमाशों के साथ रहना पसन्द करता है। जो इच्छा हो वह करे अब मैं घर जाता हूँ। अपने किये का फल उसे आप ही मिलेगा। वह उठकर फाटक की ओर चला। पर यह समझकर कि यहाँ पिनोकियो की जिन्दगी खराब हो जायेगी। किसी तरह उसे यहाँ से हटाना चाहिये वह फिर लौट आया। उसने पिनोकियो को एक बार फिर शिक्षा देने की गरज से बुलाया मगर वह आया नहीं पास ही लैम्पविक के इन्तजार में खड़ा था। लैम्पविक आया, मगर इस बार उसकी आवाज गधे की सी थी और शक्ल भी वैसी ही हो गयी थी।
पिनोकियो ने आश्चर्य से पूछा-यह क्या तुम्हें हो गया? तुम गधे जैसे क्यों दिखाई दे रहे हो? लैम्पविक ने कहा-मुझे गधा बुखार हो गया है और तुम्हें भी जल्द ही होने वाला है। तुरन्त पिनोकियो ने देखा कि उसके लम्बे लम्बे कान हो गये और पीछे एक दुम भी निकल आयी है। यह देखकर वह डर के मारे काँपने लगा। वह अपने को संभाल नहीं सका और जोर से चिल्ला उठा- जिमी मुझे बचाओ।
जिमी दौड़ता हुआ पहुँचा पर अब आकर वह क्या करता। दोनों को गधे की शक्ल में देखकर उसने कहा- मेरी बात तो तुम लोगों ने सुनी नहीं अब जरा अपनी ओर देखो। दोनों में एक ने भी उसका जबाव नही दिया। जिमी ने उन्हें वहाँ से भाग चलने की सलाह दी।
वह आगे आगे चला और वे उसके पीछे पीछे भागते चले। पर ज्यों ही पत्थर की दीवाल के पास पहुँचे कि छकड़े वाले ने सामने से उन्हें घेर लिया। उसने शोर मचाना शुरू किया- पकड़ो पकड़ो ये दोनों भागे जा रहे हैं। खतरे की घंण्टी बजने लगी। पहरेदार हाथों में टार्च लिये इधर उधर दौड़ने लगे। बन्दूक छूटने की आवाज से आसमान गंूज उठा। दोनों भगोड़े डर रहे थे कि उन्हें कहीं गोली न लग जाय। इसी बीच पिनोकियो और जिमी दीवाल के करीब पहुँचे। दोनों फाँदकर दीवाल पर चढ़ गये। पर लैम्पविक नीचे ही रह गया। उसके पांव रस्सी से बंध गये थे। वे उसे उसी हालत में छोड़ समुद्र में कूद पड़े और इस तरह अपनी जान बचाकर निकल भागे। दोनों तैरकर किनारे पहुँचे। वहाँ से उनका घर अभी बहुत दूर था। पिनोकियो घर पहुँचने और अपने पिता को देखने के लिये बेचैन हो रहा था। आनन्दद्वीप अब उसे एक सपना सा मालूम हो रहा था। वे जल्दी जल्दी घर की ओर चल पड़े। रास्ते में पिनोकियो की गधे जैसी शक्ल देखकर लोग हँसते थे और उसका मजाक उड़ाते थे। इसलिये उन्होनें रात को सफर करना तय किया। दिन को वे कहीं लुक छिपकर रहते ।
इस तरह आखिर वे जिपेट्टो के घर पहुँचे। उस समय जाड़ा पड़ने लग गया था। वहाँ जाकर देखा कि दरवाजा बन्द है। पिनोकियो दरवाजे पर धक्का देकर आवाज लगायी,‘ बाबूजी दरवाजा खोलो। ’मगर अन्दर से कोई जबाब नहीं मिला। पिनोकियो को बड़ी चिन्ता हुई कि क्या बात है। उसने खिड़की से झांककर देखा अन्दर एकदम खाली था। सब चीजें जहाँ तहाँ बिखरी पड़ी थी। उन पर ढेरों धूल जमी हुई थी। पिनोकियो दुखित होकर कहा-जान पड़ता है पिताजी कहीं चले गये हैं। उसकी आँखों से आसू बह रहे थे। इतने में हवा के झोंके में एक कागज का टुकड़ा उड़ता दिखाई दिया। जिमी ने कूदकर उसे पकड़ लिया, वह जिपेट्टो की चिट्ठी थी। जिमी ने उसे पढ़ा। जिपेट्टो ने लिखा था प्रिय पिनोकियो मुझे पता चला कि तुम आनन्दद्वीप में हो। इसलिये मैं एक छोटी सी नाव में बैठकर तुम्हारी खोज में निकल पड़ा। पर रास्ते में ही जोर का तूफान आया जिससे मेरी नाव उलट गयी और मै समुद्र के नीचे चला गया। वहाँ मुझे एक व्हेल मछली ने निगल लिया। इस समय मैं उसी के पेट में पड़ा हूँ। यहाँ खाने पीने को कुछ नही मिलता। इसलिये मुझे डर है कि तुम अब मुझे देख नही सकोगे।
पिनोकियो ने कहा- जिमी मेरे पिता तो अभी जीवित है। उन्हें बचाने के लिये अभी भी काफी वक्त हैं मैं उन्हें व्हेल मछली से छुड़ाने जा रहा हूँ। मेरी ही गलती से वह उसके पेट में चले गये। जिमी ने कहा खबरदार ऐसा ने करना नहीं तो तुम्हारी भी जान चली जायेगी। पिनोकियो ने कहा- परवाह नहीं पिता के बिना मैं जीकर ही क्या करूँगा। मैं उन्हें जरूर बचाऊँगा।
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