Saturday, 4 January 2025

balban ka nyay

 बल्बन का न्याय


बल्बन दरबार में बैठा था। राज्य कार्य चल रहा था। दरबारियों के चेहरे प्रसन्न थे, क्योकिं बल्बन के सैनिकों ने मुगलों को बुरी तरह परास्त कर सतलज पार करने से रोक दिया था। अवध के सिपहसालार हैवत खॉं का इस युद्ध को जिताने में वहुत हाथ था। 

बल्बन अपने बड़े पुत्र मुहम्मद खॉं से बहुत मुहब्बत करता था। उस पर उसकी पूरी आशाऐं थीं। एक बार मुहम्मद खॉं शत्रुओं से घिर गया था उस समय हैवत खॉ ने अपनी जिन्दगी खतरे में डालकर मुहम्मदखॉं की जिन्दगी बचाई थी। बल्बन हैवत खॉ का ऐहसान मंद था। उस समय हैवत खॉं बल्बन को रण के किस्से सुना रहा था। बल्बन बहुत मजे ले ले कर किस्से सुन रहा था कि एकाएक एक औरत दरबार में हाथ जोड़ कर आई,“ ओ मालिक’ अपनी हॉफती सांसो को काबू में करते वह बोली। 

“क्या चाहिये ?’ बल्बन ने नम्रता से पूछा। 

“मैं हैवत खॉ के विरूद्व एक याचिका दायर करना चाहती हूॅ। “स्त्री ने कहा। 

दरबार में हलचल मच गई। बल्बन ने कठोर मुद्रा में दरबारियों को देखा तो दरबारी सहम कर चुप हो गये। फिर बल्बन ने उस स्त्री से पूरा बयान देने के लिये कहा। 

‘मैं एक जादूगर की पत्नी हूंँ। हैवत खां ने लेखाकार की सहायता से मिलकर मेरे पति की हत्या की हैं। मैं आपके पास न्याय मांगने आई हूैं।’

‘तुम्हें न्याय मिलेगा,’ सुल्तान बल्बन ने कहा । उसके बाद हैवत से रण क्षेत्र का विवरण जारी रखने के लिये कहा। हैवत खाँ लड़खड़ाती जबान में विवरण सुनाता रहा। जब वर्णन पूरा हो गया तो बल्बन ने राज्य कोष से खजाना मंगवाकर स्वर्ण मुद्राऐं हैवत खां पर लुटाई। कोषाधिकारी ने घोषणा सुनाई, ‘‘राज्य के प्रति निष्ठापूर्ण सेवाओं से प्रसन्न होकर सुल्तान ने हैवत खां को एक करोड़ स्वर्ण मुद्राऐं बतौर इनाम पेश की हैैं।

इस घोषणा के तुरंत बाद सुल्तान की मुद्रा बदल गई ‘‘ मेरा एक कर्तव्य पूरा हो गया, लेकिन अब मुझे दूसरा कार्य पूरा करना है। आज एक महिला ने मेरे न्याय को दस्तक दी है।’ फिर हैवत खाँ की ओर देखकर कहा, ‘‘ तुम अपनी सफाई में क्या कहना चाहते हो?

‘‘मेरे आका! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मुझे माफ कर देें। ‘हैवत खां ने प्रार्थना की। ‘स्त्री न्याय मांगने आई है, तुम्हें माफ करने नहीं। ‘‘ बल्बन क्रोधित हो उठा सम्राट की आज्ञा से हैवत खां को तुरंत जंजीरों से जकड़ दिया गया।

न्याय मंत्रियों ने मंत्रणा की।

’इस अपराण की क्या सजा है। ‘बल्बन ने उनसे पूछा

‘‘खून के बदले खून ,बल्बन का यही कानून है, लेकिन अपराधी ने अपराध कबूल किया है,सजा में कुछ दया शामिल की जा सकती है।’

सुल्तान ने सपाट और तीखी आंखों से न्याय मंत्री की ओर देखा, ‘तुम यह इसलिये कह रहे हो क्योंकि अपराधी सुल्तान का वफादार दरबारी है, लेकिन न्याय के मामले में अपने पुत्र को भी नहीं बख्शंूगा। 

लेखाकार को शहर के द्वार पर लटका दिया गया। हैवत खां को पांच सौ कोडे लगवाकर विधवा के सुपुर्द कर दिया कि वह उसे चाकू मार सकती है, जैसे हैवत खां ने उसके पति को मारा।

हैवत खां के साथियों ने बीस हजार दीनारें उस महिला को देकर हैवत खां को मरने से बचा लिया। लेकिन हैवत खां उस घटना के बाद इतना शर्मिदां हुआ कि फिर कभी घर से बाहर नहीं निकला।









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