ग्रीक पुराण कथा पवित्र अग्नि की चोरी
बात उस समय की है जब संसार में केवल पृथ्वी और स्वर्ग ही थे। स्वर्ग के राजा थे जीयस उनकी पत्नी का नाम था हीरा। पृथ्वी पर मानव का जन्म नहीं हुआ था केवल विशाल पशु ही विचरण करते थे। लेकिन उन पशुओं में कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो पृथ्वी पर शासन कर सके। देवताओं ने निश्चय किया कि इस प्रकार के प्राणी का निर्माण किया जाय जो पृथ्वी पर सुयोग्य रूप से शासन कर सके। इसके कार्य के लिये प्रामीथियस नाम के एक देवता को चुना गया।
प्रामीथियस ने मिट्टी और पानी से लुगदी बनाकर एक प्राणी का निर्माण किया। जानवर हाथ पैर चारों से चलते थे लेकिन इस प्राणी को उसने सीधा खड़ा किया। अब प्रामीथियस सोचने लगे कि इस प्राणी को ऐसी क्या विशेषता उपहार में दी जाये कि वह अन्य से भिन्न हो सके। प्रामिथियस के बड़े भाई एपीमिथियस ने पशुओं का निर्माण किया था और उसने उन्हें सभी विशेषताएँ दे दी थी जैसे शक्ति, साहस, चालाकी, तेज भागने की कला, पंख, नाखून, सींग। अब मनुष्य को क्या दे?
प्रामीथियस के मस्तिष्क में आया कि मनुष्य को अग्नि उपहार स्वरूप दी जाय। जिससे वह पशुओं को अपने वश में कर सकें तथा उससे अनेकों वस्तुओं का निर्माण कर अपना बचाव कर सके क्योंकि मनुष्य के पास बचाव का कोई भी साधन जैसे सींग, पैने, नाखून मोटी चमड़ी आदि कुछ नहीं था। वह तो हवा, पानी तक से अपनी रक्षा करने में असमर्थ था। प्रामीथियस वापस स्वर्ग आया। उसने सूर्य के रथ से मशाल जलाई और उस पवित्र अग्नि को मनुष्य को उपहार स्वरूप दे आनन्दित वापस स्वर्ग चला गया।
जब जीयस ने मनुष्य के पास अग्नि देखी तो परेशान हो उठा क्योंकि अब मनुष्य पूरी तरह देवताओं जैसा था। जीयस ने सोचकर एक सर्वांग सुन्दरी नारी का निर्माण किया, उसका नाम रखा पांडोरा। उसे प्रामिथियस के घर भेज दिया। पांडोरा को देखकर प्रामीथियस तुरंत समझ गया कि उसे बर्बाद करने के लिये जीयस ने नारी का निर्माण किया है क्यांेकि पवित्र अग्नि को चुराकर वह मनुष्य को दे आया है।
लेकिन एपीमीथियस पांडोरा को देख उसके प्रेम में पड़ गया और उसे घर ले आया। एपीमीथियस के पास एक बक्सा था। जिसमें उसके पास बहुत सी ऐसी वस्तुएँ बंद थी जिन्हें उसने पशुओं को नही दिया था। एपीमीथियस ने पांडोरा को चेतावनी देते हुए कहा कि चाहे कुछ भी हो जाये इस बक्से को नही खोलना। पांडोरा अपनी उत्सुकता रोक न पाई कि आखिर इसमें ऐसा क्या बंद है जो वह नहीं दिखाना चाहता है? जैसे ही वह अकेली हुई बक्से की ओर भागी, उसने सोचा, जरा सा खोल कर देख लूँगी और तुरंत बंद कर दूँगी।
एपीमीथियस को मालुम भी नहीं पड़ेगा। जैसे ही उसने ढकना हटाया तमाम नाशकारक वस्तुएँ जैसेः महामारियाँ, ईर्ष्या, द्वेष, धृणा, दुश्मनी आदि निकल पड़ी और चारों ओर बिखर गई। पांडोरा ने जल्दी से ढकना बंद करना चाहा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बक्सा खाली हो गया केवल आशा उसमें बंद रह गई। आशा जिसे मनुष्य कभी नहीं छोड़ता।
अब देवताओं केा मनुष्य से कोई खतरा नहीं रह गया था क्योंकि अब मनुष्य के खुद के ही दुश्मन थे जो जानवरों से बदतर थे लेकिन प्रामीथियस को जीयस अभी भी क्षमा नहीं कर पाया।
जिसने स्वर्ग को पवित्र अग्नि को चुराया है उसे दंड अवश्य दिया जायेगा। उसे पहाड़ से जकड़ दिया जाय। वहाँ सूर्य का ताप कभी नहीं मिलेगा, वह कराहेगा, तड़पेगा। एक गिद्ध उसके पेट को निरंतर नोचता रहेगा जितना वह नोचेगा पेट फिर उतना ही होता जायेगा। जीयस ने उसे पहाड़ की चोटी पर बंधवा दिया लेकिन प्रामीथियस न कराहा, न तड़पा, न सहायता के लिये चिल्लाया वह बहादुरी से वहाँ अपने दंड को भोगता रहा।
डॉ॰ श्ािश गोयल
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